छठ पर्व पर आपने पढ़ लिया ‘सूर्य कवचम’ श्लोक, तो जीवन भर रहेंगे निरोग और बनेंगे बलशाली

नई दिल्ली, न्यूज टुडे नेटवर्क : धर्म ग्रंथों में सूर्य कवच की महिमा का बहुत ही महत्वपूर्ण वर्णन है। सूर्य कवच का नियमित पाठ करने से आपदा दूर होती है। यह कवच व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करता है। प्रात:काल सूर्य को नमस्कार करने के बाद सूर्य कवच का पाठ करना चाहिए। रविवार को सूर्य कवच
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छठ पर्व पर आपने पढ़ लिया  ‘सूर्य कवचम’ श्लोक, तो जीवन भर रहेंगे निरोग और बनेंगे बलशाली

नई दिल्ली, न्यूज टुडे नेटवर्क : धर्म ग्रंथों में सूर्य कवच की महिमा का बहुत ही महत्वपूर्ण वर्णन है। सूर्य कवच का नियमित पाठ करने से आपदा दूर होती है। यह कवच व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करता है। प्रात:काल सूर्य को नमस्कार करने के बाद सूर्य कवच का पाठ करना चाहिए। रविवार को सूर्य कवच का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। विधि विधान से शुभ मुहुर्त में सूर्य कवच धारण करना शुभ होता है। छठ पूजा पर सूर्य कवच का विशेष महत्व बताया गया है। तो ये हैं महत्वपूर्ण सूर्य कवचम श्लोक….।

छठ पर्व पर आपने पढ़ लिया  ‘सूर्य कवचम’ श्लोक, तो जीवन भर रहेंगे निरोग और बनेंगे बलशाली

श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम।
शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम।1।

याज्ञवल्क्यजी बोले- हे मुनि श्रेष्ठ! सूर्य के शुभ कवच को सुनो, जो शरीर को आरोग्य देने वाला है तथा संपूर्ण दिव्य सौभाग्य को देने वाला है।

देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम।
ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत् ।2।

चमकते हुए मुकुट वाले डोलते हुए मकराकृत कुंडल वाले हजार किरण (सूर्य) को ध्यान करके यह स्तोत्र प्रारंभ करें।

छठ पर्व पर आपने पढ़ लिया  ‘सूर्य कवचम’ श्लोक, तो जीवन भर रहेंगे निरोग और बनेंगे बलशाली

शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:।
नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर: ।3।

मेरे सिर की रक्षा भास्कर करें, अपरिमित कांति वाले ललाट की रक्षा करें। नेत्र (आंखों) की रक्षा दिनमणि करें तथा कान की रक्षा दिन के ईश्वर करें।

ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:।
जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित: ।4।

मेरी नाक की रक्षा धर्मघृणि, मुख की रक्षा देववंदित, जिव्हा की रक्षा मानद् तथा कंठ की रक्षा देव वंदित करें।

सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके।
दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय : ।5।

सूर्य रक्षात्मक इस स्तोत्र को भोजपत्र में लिखकर जो हाथ में धारण करता है तो संपूर्ण सिद्धियां उसके वश में होती हैं।

सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:।
सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति। 6।

स्नान करके जो कोई स्वच्छ चित्त से कवच पाठ करता है वह रोग से मुक्त हो जाता है, दीर्घायु होता है, सुख तथा यश प्राप्त होता है।