चंपावत में हुआ था भगवान विष्णु का कूर्म अवतार, जानिए क्या खास है चंपावत के आस पास

चंपावत-न्यूज टुडे नेटवर्क : समुद्र तल से 1615 मीटर की ऊंचाई पर स्थित उत्तराखंड के कुमाऊं में चंपावत एक प्रसिद्ध सैरगाह है। विभिन्न मंदिरों और सुरम्य प्रकृतिक दृश्यों के लिए मशहूर चंपावत 1997 में एक अलग जिला बना था। पर्यटकों के बीच खासा प्रसिद्ध होने के चलते उत्तराखंड की अधिकतर जगहें हमेशा ही पर्यटकों से
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चंपावत में हुआ था भगवान विष्णु का कूर्म अवतार, जानिए क्या खास है चंपावत के आस पास

चंपावत-न्यूज टुडे नेटवर्क : समुद्र तल से 1615 मीटर की ऊंचाई पर स्थित उत्तराखंड के कुमाऊं में चंपावत एक प्रसिद्ध सैरगाह है। विभिन्न मंदिरों और सुरम्य प्रकृतिक दृश्यों के लिए मशहूर चंपावत 1997 में एक अलग जिला बना था। पर्यटकों के बीच खासा प्रसिद्ध होने के चलते उत्तराखंड की अधिकतर जगहें हमेशा ही पर्यटकों से पटी रहती हैं, लेकिन इसके बावजूद आज भी उत्तराखंड में ऐसी भी कुछ जगहें हैं, जो आज भी अछूती सुन्दरता के लिए जानी जाती है। चंपावत कभी चंद वंश की राजधानी हुआ करती थी।

चंपावत में हुआ था भगवान विष्णु का कूर्म अवतार, जानिए क्या खास है चंपावत के आस पास

ये मंदिर हैं यहां के खास

चंपावत का नामकरण राजा अर्जुन देव की बेटी चंपावती के नाम पर हुआ है। यहां पर्यटन के लिहाज से कई मंदिर हैं, जिनमें क्रांतेश्वर महादेव मंदिर, बालेश्वर मंदिर, पूर्णागिरी मंदिर, ग्वाल देवता, आदित्य मंदिर, चौमू मंदिर और पाताल रुद्रेश्वर चंपावत के खास आकर्षण हैं। नागनाथ मंदिर कुमाऊं क्षेत्र के प्राचीन वास्तुशिल्प का बेहतरीन नमूना है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु का कूर्म अवतार यहीं हुआ था। प्रख्यात प्रकृतिविद् और शिकारी जिम कॉर्बेट ने जब यहां बाघों का शिकार किया तो इस जगह को प्रसिद्धी मिली।

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क्रांतेश्वर महादेव मंदिर

चंपावत से 6 किमी की दूरी पर स्थित क्रांतेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जोकि समुद्र तल से 6000 मीटर की ऊंचाई पर बना है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर अपनी अनोखी वास्तुशिल्प के लिए जाना जाता है। मंदिर के आसपास बर्फ से ढके पहाड़ों को देखा जा सकता है। अपनी इच्छायों को पूरा करने के लिए भक्त भगवान भोलेनाथ को भक्त आशीर्वाद लेने के लिए भगवान कणदेव को दूध , दही और देशी घी का भोग लगाते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण होने की मन्नत मांगते हैं।

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बालेश्वर महादेव मंदिर

भगवान शिव को समर्पित बालेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण चांद शासन ने करवाया था। रअसल यह मंदिरों का समूह है, जिसका निर्माण चंद वंश ने करवाया था। ये मंदिर हिंदू देवी बालेश्वर, रत्नेश्वर और चंपावती दुर्गा को समर्पित है। मंदिर के मंडप और छत पर की गई नक्काशी इसकी खूबसूरती में और भी ईजाफा कर देती

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मीठा-रीठा साहिब

चम्पावत से करीबन 72 किमी की दूरी पर स्थित मीठा रीठा साहिब सिक्खों का धार्मिक स्थल है। माना जाता है कि, इस जहह एकबार सिक्खों के गुरु गुरु नानक देव जी आय थे, गुरु द्वारे के पास ही लोदिया और रतिया नदियों का संगम होता है। इस गुरूद्वारे के नामकरण के पीछे भी अद्भुत कहानी है, इस गुरूद्वारे में कई रीठे के पे? लगे हैं, । ऐसा माना जाता है कि गुरू के स्पर्श से रीठा मीठा हो जाता है।

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देवीधुरा में स्थित बाराही मंदिर

हर साल रक्षाबंधन के अवसर पर आयोजित किए जाने वाले बग्वाल त्योहार के लिए जाना जाता है। अगर लोहाघाट में खरीदारी का मन करे तो इसके लिए खादी बाजार अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके अलावा यहां प्रचीन बानासुर का किला है, जिसके बारे में कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने यहां बानासुर नाम के एक दानव की हत्या की थी। एक मान्यता यह भी है कि इस किले का निर्माण मध्यकाल में किया गया था। ट्रेकिंग के लिए भी चंपावत एक आदर्श जगह है। यहां ऐसे कई ट्रेकिंग रूट हैं जो चंपावत को पंचेश्वर, लोहाघाट, वानासुर, टनकपुर, व्यसथुरा, पूर्णागिरी और कंटेश्वर मंच से जोड़ते हैं।

कैसे पहुंचे चंपावत

पंतनगर एयरपोर्ट से टैक्सी बुक करके चंपावत पहुंच सकते हैं। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। इतना ही नहीं, आसपास के कई शहरों से चंपावत के लिए बसें भी मिलती हैं।

चंपावत जाने का सबसे अच्छा समय

चंपावत घूमने के लिए गर्मी और ठंड का समय आदर्श माना जाता है।