चमोली- सरकार के इस फैसले से यहां ग्रामीणों के रोजगार में छाया संकट, जाने क्या है पूरा मामला

कोरोना के बीच उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा शुरू तो हो गई है। लेकिन ग्रामीणों को इस यात्रा के शुरु होने के बावजूद खासा नुक्सान हो रहा है। कोरोना की वजह से बदरीनाथ धाम में इन दिनों दर्शन के वक्त प्रसाद ले जाने की अनुमति नहीं है। ऐसे में प्रसाद में बिकने वाली तुलसी माला
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चमोली- सरकार के इस फैसले से यहां ग्रामीणों के रोजगार में छाया संकट, जाने क्या है पूरा मामला

कोरोना के बीच उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा शुरू तो हो गई है। लेकिन ग्रामीणों को इस यात्रा के शुरु होने के बावजूद खासा नुक्सान हो रहा है। कोरोना की वजह से बदरीनाथ धाम में इन दिनों दर्शन के वक्त प्रसाद ले जाने की अनुमति नहीं है। ऐसे में प्रसाद में बिकने वाली तुलसी माला भी बाबा बद्री तक नहीं पहुंच रही है। जिस कारण तुलसी माला आजीविका से जुड़े ग्रामीणों पर भारी संकट खड़ा हो गया है। यही वजह है कि यात्रा सीजन में तुलसी माला बेचकर लाखों का कारोबार करने वाली पांडुकेश्वर समेत आसपास के गांवों की महिलाएं मंदिर खुलने के बाद भी मायूस हैं। स्थिति यह है मालाएं उपलब्ध होने के बावजूद कोरोना संक्रमण के भय से कोई उन्हें खरीदने को तैयार नहीं है।

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तुलसी माला रोजगार से जुड़े 1500 ग्रामीण

बदरीनाथ धाम में नारायण पर्वत पर मनांग, देवदर्शनी, रड़ांग बैंड, बामणी गांव, वसुधारा, माणा गांव, नाग-नागिन, इंद्रधारा, चरण पादुका, हनुमानचट्टी और सरों इस तुलसी के प्रमुख स्रोत हैं। यात्रा सीजन में इसी तुलसी के पत्तों की बनी माला बेचकर माणा, बामणी और आसपास के गांवों के करीब 1500 के लोग रोजगार प्राप्त करते हैं। इससे उनकी 20 लाख रुपये तक की आय हो जाती है। लेकिन, कोरोना संक्रमण के चलते इस बार मंदिर में प्रसाद ले जाने की मनाही है। इससे ग्रामीणों के सामने रोजी का संकट खड़ा हो गया है। महिलाओं की माने तो ग्रामीणों ने चारधाम देवस्थानम बोर्ड और प्रशासन के सामने तुलसी की माला खरीदने की गुहार भी लगाई। लेकिन, इसका कोई नतीजा नहीं निकला।

चमोली- सरकार के इस फैसले से यहां ग्रामीणों के रोजगार में छाया संकट, जाने क्या है पूरा मामला

क्या है मान्यता

आपको बता दें कि बदरीनाथ धाम में भगवान नारायण के श्रृंगार वन तुलसी की माला से होता है। बदरीनाथ के आसपास के जंगल में ओरिगनम बल्गर प्रजाति की दुर्लभ तुलसी पाई जाती है। भगवान की नित्य पूजा में इसी तुलसी का उपयोग होता है। मान्यता है कि बदरीनाथ धाम में मौजूद तुलसी मां लक्ष्मी का ही प्रतिरूप है। यही कारण है कि बिना तुलसी के भगवान बदरी नारायण की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए इसे बदरी तुलसी भी कहते हैं। जानकारी मुताबिक यह माला 20 से लेकर 50 रुपये तक की बिकती है। वही अगर आपको लगातार एक माह तक भगवान को माला अर्पित करनी है, तो इसकी कीमत 601 से लेकर 1501 रुपये तक है।