कर्नाटक में लौह अयस्क उद़योग पर प्रतिबंध राज्य के विकास के लिए बाधक


कर्नाटक देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां राज्य से लौह अयस्क के निर्यात पर प्रतिबंध लगा है और इसके अलावा देश में लौह अयस्क के सभी खरीदारों को इसकी आपूर्ति करने पर भी प्रतिबंध है। इस राज्य में इसी कारण लौह अयस्कों को कुछ चुनिंदा खरीदार ही खरीद पाते हैं जिससे राज्य की पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है।

राज्य से लौह अयस्क के निर्यात पर प्रतिबंध लगाये जाने के बावजूद खदान मालिकों को अयस्क की बिक्री के लिए कोई वैकल्पिक बाजार मुहैया नहीं कराया गया है। इसी वजह से यहां के खदान मालिकों को घरेलू बाजार में सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक एनएमडीसी द्वारा तय मूल्यों के आधार पर अयस्क की बिक्री करनी पड़ती है।

बाजार में एनएमडीसी की हिस्सेदारी करीब 14 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष है। इसके साथ ही कर्नाटक के लौह अयस्क खरीदारों को अयस्क के आयात या कैप्टिव खदान आदि अन्य स्रोतों से अयस्क की खरीदारी की छूट भी प्राप्त है।
ऐसे समय में जब वैश्विक बाजार में लौह अयस्क की मांग बढ़ रही है जिससे इसकी कीमत 122 डॉलर प्रति टन है और भारत को इसका लाभ मिल सकता था, तब सरकारी खनिज उत्पादक कंपनी एनएमडीसी लिमिटेड को अपने लौह अयस्क की कीमत में 500 रुपये ( कर्नाटक में 300 रुपये प्रति टन तथा छत्तीसगढ़ में 200 रुपये)तक की कटौती करनी पड़ी।
इस कटौती से कर्नाटक में 62.5 ग्रेड के लौह अयस्क की कीमत घटकर 3,233 रुपये हो गयी है। इसी समय जबकि ओडिशा में खदान मालिकों ने बाजार की स्थिति को देखते हुए अपने लौह अयस्क की कीमत 250 रुपये प्रति टन बढ़ाकर 7,183 रुपये प्रति टन कर दी है।
ओडिशा जैसे खनिज संपन्न राज्यों ने बाजार की स्थिति का लाभ उठाया क्योंकि उनके यहां बाजार नीतियां खुली हैं जिससे उनका बाजार सिर्फ घरेलू खरीदारों तक ही सीमित नहीं है। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और राजस्व में भी वृद्धि होती है। इसके विपरीत कर्नाटक का लौह अयस्क उद्योग एनएमडीसी की मूल्य नीति से प्रभावित है।
कर्नाटक का लौह अयस्क कारोबार एकतरफा प्रवाह से प्रभावित है और यहां करीब 3.2 मीट्रिक टन लौह अयस्क आयात के जरिये या अन्य स्रोतों से आता है।
इससे राज्य में लौह अयस्क की कृत्रिम अति आपूर्ति है जिससे निजी उत्पादकों को बाजार मूल्य से कम पर अयस्क की बिक्री करने का दबाव बनता है। राज्य में फिलहाल बिना बिक्री के करीब 4.25 मीट्रिक टन अयस्क का भंडार है। कर्नाटक में लौह अयस्क की वार्षिक मांग 37 मीट्रिक टन है जबकि यहां उत्पादन का आंकड़ा 42 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष का है।
लौह अयस्क के व्यापार पर लगाये गये प्रतिबंध तथा एनएमडीसी द्वारा मूल्य कटौती करने से प्रति वर्ष करीब 700 करोड़ रुपये के घाटे का अनुमान है। लौह अयस्क की मांग और आपूर्ति को देखते हुए एनएमडीसी द्वारा मूल्य में कटौती करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
एनएमडीसी द्वारा की गयी कटौती से यह सवाल उठता है कि क्या यह कदम स्टील उद्योग के प्रभाव में लिया गया है क्योंकि एनएमडीसी स्टील मंत्रालय के अधीन है। कर्नाटक में लौह अयस्क की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार के मुकाबले 110 से 120 प्रतिशत तक कम है।
-- आईएएनएस
अर्चना/आरजेएस