बीकेयू अध्यक्ष टिकैत बोले- जिद छोड़कर किसानों से वार्ता करे सरकार

न्यूज टुडे नेटवर्क। बीकेयू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा है कि सरकार को किसानों की बात सुननाचाहिए। अड़ियल रवैया अपनाकर किसानों से बात करनी चाहिए। टिकैत आज शुक्रवार को एक संगठन पदाधिकारी के तेरहवां संस्कार में पहुंच थे। इस दौरान टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों पर ही आरोप लगा रही है। जबकि किसान महज
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बीकेयू अध्यक्ष टिकैत बोले- जिद छोड़कर किसानों से वार्ता करे सरकार

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। बीकेयू अध्‍यक्ष नरेश टिकैत ने कहा है कि सरकार को किसानों की बात सुननाचाहिए। अड़ियल रवैया अपनाकर किसानों से बात करनी चाहिए। टिकैत आज शुक्रवार को एक संगठन पदाधिकारी के तेरहवां संस्‍कार में पहुंच थे। इस दौरान टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों पर ही आरोप लगा रही है। जबकि किसान महज अपना हक मांग रहे हैं। हालांकि आज पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के जन्‍मदिन के मौके पर भी पीएम मोदी ने किसानों को समझाने की कोशिश की है। लेकिन किसान वापस पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।

नरेश टिकैत ने कहा कि सरकार को जिद छोड़कर वार्ता और धरने का हल निकालने के लिए आगे आना चाहिए। इस मामले में सरकार अड़ियल रूख अपनाए हुए है।

दरअसल, BKU अध्यक्ष नरेश टिकैत शुक्रवार को शामली में अपने एक संगठन पदाधिकारी की तेरहवीं संस्कार में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। टिकैत ने कहा कि सर्दी की वजह से बहुत से हमारे किसान शहीद हो चुके हैं। सरकार को अब किसानों की बात मान लेनी चाहिए। इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर नहीं चलना चाहिए। हम प्रधानमंत्री के रुप में नरेंद्र मोदी का सम्मान करते हैं और हम नहीं चाहते कि वह सर झुका कर बात करें। किसानों का सर भी ऊंचा करें।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को तीनों कृषि बिल वापस ले लेना चाहिए। यदि किसानों की समस्या का समाधान नहीं किया गया तो आगामी 26 जनवरी को किसान अपने ट्रैक्टर ट्रॉली समेत गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होंगे।

नरेश टिकैत ने कहा कि कृषि कानून के विरोध में 40 से अधिक किसान संगठन विरोध कर रहे हैं और भाजपा के विधायक, मंत्री अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। किसान संगठनों के बीच फूट डालने का काम कर रहे हैं।इस दौरान उन्होंने यह भी साफ किया कि किसानों के बीच में कानून वापसी को लेकर कोई मतभेद नहीं है। इस मुद्दे पर सभी किसान एकजुट हैं। सरकार को आरोप लगाने की बजाय मुद्दे पर बातचीत करनी चाहिए। मुद्दे को सुलझाने के लिए सरकार व किसान दोनों को दो कदम पीछे हटना चाहिए। आंदोलन को लंबा खींचने से जहां देश को प्रतिदिन 35 करोड़ का नुकसान हो रहा है। वहीं किसान के नुकसान का अंदाजा लगाना मुश्किल है।