भीमताल- छोटा कैलाश में खास है पार्वतीकुंड, ऐसे सूख गया था कुंड का पानी

भीमताल- महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव के धाम छोटा कैलाश में हर साल पहुंचने वाले भक्त इस साल छोटा कैलाश में पार्वती कुंड के दर्शन कर सकेंगे। साथ ही भक्त पार्वती कुंड में सूक्ष्म स्नान करने के साथ ही पूजा-अर्चना कर सकेंगे। इसके लिए मनरेगा के तहत 5.34 लाख की लागत से बन रहा
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भीमताल- छोटा कैलाश में खास है पार्वतीकुंड, ऐसे सूख गया था कुंड का पानी

भीमताल- महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव के धाम छोटा कैलाश में हर साल पहुंचने वाले भक्त इस साल छोटा कैलाश में पार्वती कुंड के दर्शन कर सकेंगे। साथ ही भक्त पार्वती कुंड में सूक्ष्म स्नान करने के साथ ही पूजा-अर्चना कर सकेंगे। इसके लिए मनरेगा के तहत 5.34 लाख की लागत से बन रहा पार्वती कुंड 90 प्रतिशत बनकर तैयार हो गया है।

गौरतलब है कि पूर्व सीडीओ विनीत कुमार की पहल पर छोटा कैलाश में पार्वती कुंड बनाने की कार्ययोजना तैयार की गई थी। इसके बाद तत्कालीन सीडीओ ने मनरेगा के माध्यम से पार्वती कुंड का निर्माण कार्य शुरू कराया था। ताकि छोटा कैलाश में आने वाले भक्त कुंड में स्नान के साथ पूजाअर्चना कर सकें। बीडीओ दिनेश दिगारी ने बताया कि छोटा कैलाश में पार्वती कुंड का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि कुंड के बनने से छोटा कैलाश को एक अलग पहचान मिल सकेगी।

छोटा कैलाश में पार्वती कुंड

भीमताल स्थित छोटा कैलााश मंदिर की बड़ी मान्यता है। बताया जाता है सतयुग में शिव कैलाश प्रवास में जाते समय एक बार यहां विश्राम के लिए रूके थे। मान्यता है कि यहां पर स्थित शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। बताया जाता है कि महादेव शिव और माता पार्वती ने इस स्थान पर प्रवास किया था। प्रवस के दौरान उनको जल की आवश्यकात पड़ती तो यहां पर जल की उपलब्धता न होने से उन्होंने अपनी दिव्य शक्तियों से यहां जलकुंड का निर्माण किया। जिसे भक्तों ने द्वारा पार्वती कुंड ना दिया जाता है।

बताया जाता है कि कभी किसी भक्त द्वारा पार्वती कुंड को अपवित्र कर देने के चलते उसका जल सूख गया। क्योंकि पार्वती कुंड तक पहुंचने वाली तीन सतत जलधाराएं विभक्त होकर पहाड़ी के तीन छोरों पर ही थम गई। अब स्थानीय नागरिकों तथा सरकार मनेरगा परियोजना के द्वारा पार्वत्ीन कुंड को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है। जो लगभग पूरा हो चुका है।