Bareilly-नौकरी से वीआरएस, समाजसेवा अनवरत जारी, जानिए मीना सोंधी का सफरनामा

न्यूज टुडे नेटवर्क, बरेली। आज के इस भागमभाग भरे जीवन में लोग पैसों के लिए भाग रहे हैं। उनके पास अपने परिवार के लिए तक समय नहीं है लेकिन कुछ लोग ऐसी भी हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन ही समाजसेवा के लिए समर्पित कर दिया है। इनमें से एक हैं स्टेशन रोड निवासी मीना सोंधी।
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Bareilly-नौकरी से वीआरएस, समाजसेवा अनवरत जारी, जानिए मीना सोंधी का सफरनामा

न्‍यूज टुडे नेटवर्क, बरेली। आज के इस भागमभाग भरे जीवन में लोग पैसों के लिए भाग रहे हैं। उनके पास अपने परिवार के लिए तक समय नहीं है लेकिन कुछ लोग ऐसी भी हैं जिन्‍होंने अपना पूरा जीवन ही समाजसेवा के लिए समर्पित कर दिया है। इनमें से एक हैं स्‍टेशन रोड निवासी मीना सोंधी। समाज सेवा में वो इतनी रम चुकी हैं कि बरेली का हर गरीब, मजबूर उन्‍हें अपना परिवार लगता है। समाजसेवा का उन्‍हें ऐसा जुनून है कि उन्‍होंने सरकारी नौकरी से पांच साल पहले ही वीआरएस ले लिया है।

मूल रूप से भोपाल के टीटी नगर निवासी मीना बरेली में वर्ष 2001 में आई थीं। बीएसएनएल में उन्‍हें भोपाल से यहां ट्रांसफर पर भेजा गया था। बरेली आकर यहां वो इस कदर रम गईं कि उन्‍हें अब बरेली छोड़ने का मन नहीं हुआ। उनकी एक बेटी है जो शादी के बाद इंग्‍लैंड शिफ्ट हो गई है। पूर्ण रूप से समाजसेवा के लिए उन्‍होंने पिछले साल सीनियर सेक्‍शन सुपरवाइजर के पद से वीआरएस ले लिया। अब वे मानव सेवा योग संस्‍थान का गठन कर उसके तहत समाजसेवा के कार्य कर रही हैं।

Bareilly-नौकरी से वीआरएस, समाजसेवा अनवरत जारी, जानिए मीना सोंधी का सफरनामा

दिनचर्या में शामिल है अनाथालय जाना

मीना का शाम का वक्‍त अनाथालयों के बच्‍चों के बीच ही गुजरता है। कुछ न कुछ बच्‍चों के उत्‍थान के लिए करती ही रहती हैं। हाल ही में एसबी इंटर कॉलेज रोड पर स्थित प्राथमिक विद्यालय अनाथालय के बच्‍चों की मांग पर वहां बैडमिंटन कोर्ट का निर्माण कराया। निरंतर बच्‍चों के लिए कपड़ों आदि की व्‍यवस्‍था कर बच्‍चों को यह एहसास नहीं होने देतीं कि उनका इस दुनिया में कोई नहीं है।

Bareilly-नौकरी से वीआरएस, समाजसेवा अनवरत जारी, जानिए मीना सोंधी का सफरनामा

घर और गुरुजी को देती हैं श्रेय

मीना सोंधी ने बताया कि मुझे अपने घर से मिले संस्‍कार ने ही समाजसेवा करने का जज्‍बा दिया है। इसके साथ ही मेरे गुरु डॉ. केएस गांगुली ने मुझे योग की दीक्षा दी। 102 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया लेकिन वे अब भी मुझ में जिंदा हैं। वे कहते थे कि जीवन में किसी से नफरत मत करो। प्‍यार करो, समाज एक मंदिर है। इन्‍हीं प्रेरणा के साथ वह निरंतर कार्य कर रही हैं।

योग व थियेटर करा रही

अनाथालय के बच्‍चों को वे निरंतर योग व थियेटर की ट्रेनिंग दे रही हैं। उनका मानना है कि योग से बच्‍चे हमेशा फिट रहेंगे तो वहीं थियेटर से उनके अंदर की प्रतिभा निखरकर सामने आएगी और वे निरंतर ऊंचाइयों को छूते रहेंगे।

लॉकडाउन में बच्‍चों का बनी सहारा

कोरोना काल में लगे लॉकडाउन में जब लोग एक-दूसरे से मिलने से तक कतरा रहे थे। स्‍कूल बंद थे। लोग घरों में कैद थे। ऐसे में मीना को अनाथालय के बच्‍चों का ख्‍याल था। वे रोजाना अनाथालय जाकर बच्‍चों की बीच समय बिताती थीं। उन्‍हें योग कराती थीं ताकि कोरोना काल में उनकी इम्‍यूनिटी मजबूत रहे। साथ ही वे खुद को अकेला न महसूस करें।