Bareilly-गरीब, दिव्‍यांग व मूकबधिर बच्‍चों के जीवन को दिशा दे रहीं बरेली की पुष्‍पलता, जानिए उनका सफरनामा  

न्यूज टुडे नेटवर्क, बरेली। जो सुख हमें दूसरों की सेवा करने से मिलता है वो सुख सारे सुखों से अलग है। बरेली के पूर्व सांसद पिता के इस वाक्य को अपने जीवन में उतारकर रामपुर गार्डन निवासी 85 वर्षीय पुष्पलता गुप्ता गरीब, दिव्यांग व मूकबधिर बच्चों के जीवन को दिशा दे रही हैं। उनका लक्ष्य
 | 
Bareilly-गरीब, दिव्‍यांग व मूकबधिर बच्‍चों के जीवन को दिशा दे रहीं बरेली की पुष्‍पलता, जानिए उनका सफरनामा  

न्‍यूज टुडे नेटवर्क, बरेली। जो सुख हमें दूसरों की सेवा करने से मिलता है वो सुख सारे सुखों से अलग है। बरेली के पूर्व सांसद पिता के इस वाक्‍य को अपने जीवन में उतारकर रामपुर गार्डन निवासी 85 वर्षीय पुष्‍पलता गुप्‍ता गरीब, दिव्‍यांग व मूकबधिर बच्‍चों के जीवन को दिशा दे रही हैं। उनका लक्ष्‍य सिर्फ इतना है कि जब तक सांस है तब तक बच्‍चों का भविष्‍य संवार सकें। इसके लिए वे बरेली में पीलीभीत बाईपास रोड पर एयरफोर्स के पास दिशा इंटर कॉलेज का संचालन कर रही हैं।

बरेली के सांसद रह चुके स्‍व. ब्रजभूषण लाल की बेटी पुष्‍पलता बताती हैं कि इस स्‍कूल की नींव तो वर्ष 1998 में ही पड़ चुकी थी। बरेली कॉलेज में कुछ कमरों में इस स्‍कूल को शुरू किया था। उस वक्‍त कम बच्‍चे थे। चार साल वहां संचालन के बाद बच्‍चों की संख्‍या बढ़ गई। चार साल बाद वर्ष 2002 में मुडि़या अहमद नगर में जमीन लेकर स्‍कूल का निर्माण कर लिया। वर्तमान में उनके स्‍कूल में करीब 400 बच्‍चे पढ़ रहे हैं। स्‍कूल में तीन केटेगिरी गरीब, मू‍कबधिर व दिव्‍यांग बच्‍चों को पढ़ाया जा रहा है। मूकबधिर बच्‍चों की कक्षा अलग लगती है। उनको पढ़ाने के लिए अलग अध्‍यापक आते हैं।

ऐसे होता है स्‍कूल का संचालन

वैसे तो ऐसे स्‍कूल के संचालन के लिए सरकार भी मदद करती है लेकिन सरकारी राशि काफी देर से और कम आती है। पुष्‍पलता खुद अपनी जमापूंजी लगाकर स्‍कूल का संचालन करती है। कई लोग अपनी स्‍वेछा से स्‍कूल संचालन में मदद करते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं जो बच्‍चों को एडॉप्‍ट करते हैं। सुविधा अनुसार स्‍कूल को रुपये डोनेट करते हैं।

पढ़ाई के साथ वोकेशनल ट्रेनिंग

पढ़ाई के साथ-साथ बच्‍चों को वोकेशनल ट्रेनिंग भी कराई जाती है। इसके तहत खासकर लड़कियों को ब्‍यूटी पार्लर, सिलाई व लड़कों को कम्‍यूटर का प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि स्‍कूल से इंटर तक की पढ़ाई के बाद आगे चलकर बच्‍चे अपना कुछ व्‍यवसाय कर रोजीरोटी का इंतजाम कर सकें। इतना ही नहीं जो बच्‍चे पढ़ने में तेज होते हैं उनको आगे की पढ़ाई के लिए भी मदद की जाती है।

Bareilly-गरीब, दिव्‍यांग व मूकबधिर बच्‍चों के जीवन को दिशा दे रहीं बरेली की पुष्‍पलता, जानिए उनका सफरनामा  

अमेरिका से लौटीं दिल्‍ली और फिर बस गईं बरेली

पुष्‍पलता बताती हैं कि वर्ष 1953 में आगरा निवासी लक्ष्‍मी नारायण से उनकी शादी हुई थी। उनके पति अमेरिकन एंबेंसी में थे। शादी के बाद 1958 से 1963 तक वहीं रहीं। विदेश से लौटकर काफी दिन दिल्‍ली में रहे। दिल्‍ली में अमर ज्‍योति संस्‍था के साथ मिलकर गरीब बेटियों की शादी आदि समाजिक कार्यों में लिप्‍त रहीं। वर्ष 1997 में उनके पति का निधन हो गया। इसके बाद बरेली आकर बस गईं, क्‍योंकि यहां दिव्‍यांग बच्‍चों का कोई स्‍कूल नहीं था तो इस स्‍कूल को खोलकर पूरा जीवन समाजसेवा के लिए समर्पित कर दिया है।

बड़े बेटे रिटायर्ड आईपीएस व छोटे बेटे सेना में अफसर

पुष्‍पलता के बड़े बेटे शरद रिटायर्ड आपीएस व छोटे बेटे अदोश कुमार सेना में अफसर हैं। वे कहती हैं कि उनके स्‍कूल के कई बच्‍चे आगे चलकर नाम कमा रहे हैं। उनके ही स्‍कूल की बेटी सुलेखा का चयन पिछले वर्ष नीट में हुआ था तब उनको इतनी खुशी हुई थी कि जितना खुद के बेटे के आईपीएस व सेना में अफसर बनने पर भी नहीं हुई थी।