Bareilly-तीन तलाक के हर गुनहगार को सजा दिलाना ही मेरी जिंदगी का मकसद : फरहत नकवी

न्यूज टुडे नेटवर्क, बरेली। “आवाज़ उभरती है तो उठती हुई रखना…। कमज़ोर सदाओं को दबा देती है दुनिया”….। तीन तलाक पीड़िताओं की मुखर आवाज बन चुकीं मेरा हक फाउंडेशन की अध्यक्ष फरहत नकवी ने तीन तलाक पीड़िताओं के हर गुनहगार को सजा दिलाना ही अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया है। वे कहती हैं कि
 | 
Bareilly-तीन तलाक के हर गुनहगार को सजा दिलाना ही मेरी जिंदगी का मकसद : फरहत नकवी

न्‍यूज टुडे नेटवर्क, बरेली। “आवाज़ उभरती है तो उठती हुई रखना…। कमज़ोर सदाओं को दबा देती है दुनि‍या”….। तीन तलाक पीड़िताओं की मुखर आवाज बन चुकीं मेरा हक फाउंडेशन की अध्‍यक्ष फरहत नकवी ने तीन तलाक पीड़िताओं के हर गुनहगार को सजा दिलाना ही अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया है। वे कहती हैं कि वह इस उत्‍पीड़न का खुद सामना कर चुकी हैं। इसलिए वे हर उत्‍पीडि़त महिला का दर्द समझ सकती हैं।

https://fb.watch/3riwnNDXXq/ विडियो को देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

किला थाना क्षेत्र निवासी फरहत नकवी की शादी 28 अप्रैल, 2005 को रोहिली टोला निवासी सैय्यद रेहान हैदर के साथ हुई थी। आरोप था कि शादी के बाद जब फरहत विदा होकर ससुराल गईं तब उनके पति रेहान हैदर ने कार की मांग की और प्रताडि़त करने लगे। पति और सास मारपीट करते थे। फरहत बताती हैं कि बेटी के जन्म के बाद ससुराल वाले दहेज के लिए फिर दबाव बनाने लगे। मांग पूरी न होने पर उन्‍हें घर से निकाल दिया। वर्ष 2007 में उन्‍हें पति‍ ने तीन तलाक दे दिया।

ऐसे की मेरा हक फाउंडेशन की शुरुआत

केंद्रीय मंत्री अब्‍बास नकबी की बहन फरहत नकबी ने तीन तलाक का केस अपने ससुराल वालों पर दायर कर दिया। अपने केस की सुनवाई के दौरान उन्‍होंने वहां आईं सभी महिलाओं की परेशानी को देखा। कुछ महिलाएं तो सालों से कोर्ट आ रही थीं पर कोई सुनवाई नहीं होती थी। कुछ पढ़ी-लिखी नहीं होती थीं। जिसके कारण वह कोर्ट में आती और डेट लेने के बाद चली जातीं। यहीं से पीडि़त महिलाओं की मदद के लिए मेरा हक फाउंडेशन की शुरुआत करने का फैसला किया।

Bareilly-तीन तलाक के हर गुनहगार को सजा दिलाना ही मेरी जिंदगी का मकसद : फरहत नकवी
अपनी बेटी राजिया के साथ मेरा हक फाउंडेशन की अध्‍यक्ष फरहत नकवी।

अब तक करीब 1600 घर बर्बाद होने से बचा चुकीं

मेरा हक फाउंडेशन के बैनर तले वे घर में पीडि़ताओं के लिए समझौता अदालत लगाने लगीं। यहां मुस्‍लि‍म के अलावा हर धर्म की पीडि़त महिलाएं आकर उनसे न्‍याय दिलवाने की गुहार लगाती हैं। उनका कहना है कि पुलिस के पास जाने से कई मामले बिगड़ जाते हैं। घर की समझौता अदालत में पहले पति-पत्‍नी के बीच बातचीत के जरिये समझाने की कोशिश करते हैं कि उनके बीच के घरेलू झगड़े यहीं सुलझ जाएं। फिर भी उनके बीच जब मामला नहीं सुलझता तब पीडि़ता को कानूनी सलाह देकर मदद की जाती है। अब तक वे 1600 से भी ज्‍यादा महिलाओं की मदद समझौता अदालत में कराकर उनका घर फिर से बसा चुकी हैं।

कानूनी मदद के साथ आर्थिक सहयोग भी

कुछ महिलाओं का तलाक हो चुका है। उनके पास कमाई का कोई जरिया भी नहीं है। ऐसे में पीडि़ताओं के बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा भी वे उठाती हैं। साथ ही उनकी नौकरी के लिए भी सहयोग करती हैं।

जब कट्टरपंथियों के निशाने पर आईं फरहत

फरहत ने जब शरियत कानून तीन तलाक व हलाला पीडि़ताओं की मदद करनी शुरू की तो वे अपने धर्म के कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गईं। इसके चलते उन पर जानलेवा हमले कराने की कोशिश की गई। इतना ही नहीं इस्लाम से खारिज करने की चेतावनी दी गई तो कभी उन्‍हें मुसलमान होने का सबूत मांगा गया। कट्टरपंथियों ने यहां तक कह दिया कि जो भी फरहत की चोटी काटकर व पत्थर मारकर देश से बाहर निकालेगा उसको इनाम दिया जाएगा। इसके बाद उनकी सुरक्षा में प्रशासन ने पुलिस की भी तैनाती की थी।

तीन तलाक पर कानून बनने के बाद कम हुए मामले

तीन तलाक पीडि़ताओं की आवाज उठाने वालीं फरहत नकवी की मेहनत तब रंग लाई जब उत्‍तर प्रदेश में तीन तलाक पर कानून बना। वे कहती हैं कि कानून बनने के बाद लोगों के दिल में डर आया है। इसके चलते केस काफी हद तक कम हुए हैं।