बरेली: सोते से उठाकर जिंदा ही जलाया गया था धर्मपाल, पुलिस को मिल रहे पुख्ता सुबूत

न्यूज़ टुडे नेटवर्क। यूपी के बरेली के गांव बरगवां में धर्मपाल हत्याकांड में पुलिस की जांच जारी है। शुरुआती जांच में यह साफ हो गया है कि धर्मपाल को जिंदा ही पेड़ से बांधकर जलाया गया था क्योंकि धर्मपाल के हाथ और पैर दोनों बंधे थे। इससे पुलिस को अंदाजा है कि जलाते वक्त धर्मपाल
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बरेली: सोते से उठाकर जिंदा ही जलाया गया था धर्मपाल, पुलिस को मिल रहे पुख्ता सुबूत

न्यूज़ टुडे नेटवर्क। यूपी के बरेली के गांव बरगवां में धर्मपाल हत्याकांड में पुलिस की जांच जारी है। शुरुआती जांच में यह साफ हो गया है कि धर्मपाल को जिंदा ही पेड़ से बांधकर जलाया गया था क्योंकि धर्मपाल के हाथ और पैर दोनों बंधे थे। इससे पुलिस को अंदाजा है कि जलाते वक्त धर्मपाल होश में थे। हत्यारोपियों ने विरोध की वजह से ही उनके हाथ पैरों को बांध दिया। पुलिस का यह भी कहना है कि अगर धर्मपाल को बेहोश करके आग लगाई जाती तो उन्हें बांधने की आवश्यकता नहीं थी।

पुलिस ने यह भी बताया कि हत्याकांड में कई और लोग भी शामिल हो सकते हैं। किसी एक के द्वारा की गई घटना यह प्रतीत नहीं हो रही है। धर्मपाल की चप्पलें घर में ही मिली हैं। इससे साफ है कि उन्हें सोते से उठाकर हत्यारोपी खेत में लाए। विरोध कर भाग ना जाए इसलिए धर्मपाल को पेड़ से बांध दिया गया। खेत में लगे कटीले तारों का उपयोग धर्मपाल को बांधने में किया गया। धर्मपाल का एक बेटा जितेंद्र व एक बेटी मधु है। पत्नी धर्मेंदरी घर पर ही रहती है।

बरेली: सोते से उठाकर जिंदा ही जलाया गया था धर्मपाल, पुलिस को मिल रहे पुख्ता सुबूत
घटनास्‍थल पर जांच करते पुलि‍सकर्मी।

साढ़ू ने बताया कि शुक्रवार को रोज की तरह खाना खाने के बाद वे सोने चले गए। धर्मपाल के दोनों भाई गांव में अलग-अलग घर में रहते हैं। धर्मपाल के नाम 15 बीघा जमीन है। इधर थाना प्रभारी शीशगढ़ ने बताया कि किसान के घर से लेटर मिला है। उसमें काफी चीजें तो समझ में नहीं आ रही हैं। सिर्फ अनहोनी पर तोताराम की जिम्मेदारी की बात ही स्पष्ट है। जबकि जांच में यह निकल कर आया है कि तोताराम उनके घनिष्ठ मित्र थे।

उनके साथ काफी उठना बैठना था। पूरे प्रकरण में और किन लोगों की संलिप्तता है। इसकी जांच की जा रही है। धर्मपाल के सामने का हिस्सा पूरी तरह जला हुआ था। इस बात से स्पष्ट है कि बांधने के बाद पेट्रोल या डीजल या अन्य ज्वलनशील पदार्थ से उनके सीने व पेट पर डालकर आग लगाई गई। चेहरा भी जला था। पैर भी पेड़ से बन्धे थे जबकि बाकी धड़ औंधे मुंह गिरा हुआ था। लोगों का मानना है कि जलने के बाद जब कांटों पर वजन आया तो सीने पर बने तार ढीले हुए जिससे वह हिस्सा औंधे मुंह गिर गया। हाथ पीछे बंधे थे। इसलिए कम जले।