BAREILLY: भुखमरी की कगार पर पहुंचे जिले के मांझा कारीगर, की काम शुरू कराने की मांग
बरेली: लॉकडाउन (Lockdown) होने के कारण मांझा कामगारों (Manjha Workers) को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गुरुवार को मांझा कामगार अपना दर्द बयां करने के लिए पूर्व मंत्री अताउर्रहमान (Former minister Ataurrahman) के कैंप कार्यालय आवास विकास पहुंचे। मांझा मजदूर कल्याण समिति ने प्रदेश अध्यक्ष अरशद हुसैन व समिति के सचिव छुटका यासीन ने मांझा कारीगरों के साथ अताउर्रहमान से मुलाकात की और मांझे के अड्डे का काम शुरू कराने के लिए मदद की मांग की।
उन्होंने बताया कि प्रशासन (Administration) ने बाजार खुलने व कामगारों के लिए रोस्टर (Roster) जारी किए हैं। परंतु मांझे के कारीगर काम नहीं कर पा रहे हैं। रोजमर्रा की कमाई से घर चलाने वालों के लिए अब भुखमरी की नौबत आ चुकी है। मांझा कारीगरों ने इस संबंध में जिलाधिकारी (DM) व एडीएम प्रशासन (ADM Administration) से भी मुलाकात की थी। और मांझा का काम रोस्टर में शामिल करने को कहा था, तब प्रशासन ने कहा था कि आप काम कर सकते हैं। पर अब पुलिस (Police) काम यह कहकर बंद करा देती है कि मांझे का काम रोस्टर में नहीं है।
इस लॉकडाउन में 10 से 50 हजार मांझा कारीगर भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। वही पतंग कारीगरों (Kite Workers) ने बताया की पतंग के काम में कच्चा काम करने में महिलाएं जुड़ी हुई थी। और 50 दिन भर में कमा कर उनके घर पर खाना बनता था, पर अब उनका काम भी बंद है। पतंग बनाने का काम शुरू कराया जाए ताकि कारीगर अपनी जीविका चला सके। पूर्व मंत्री उताव रहमान ने आश्वासन दिया है कि समस्याओं को प्रशासन के सामने रखा जाएगा और पूरी मदद की जाएगी।