Bareilly: ‘कोरोना से नहीं आर्थिक तंगी से मर जाएंगे’, लॉकडाउन के कोचिंग सेंटर के हैं ऐसे हाल

कोरोना वायरस (Corona virus) के कारण देश में पिछले 2 महीनों तक लॉकडाउन (lockdown) से सब की रोजी-रोटी बंद हो गई थी। कोचिंग पढ़ा कर जीविका चलाने वाले कोचिंग संचालक भी भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। बरेली में लगभग 500 कोचिंग सेंटर (coaching centre) है जहां कई लोग काम करते हैं। ऐसे में
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Bareilly: ‘कोरोना से नहीं आर्थिक तंगी से मर जाएंगे’, लॉकडाउन के कोचिंग सेंटर के हैं ऐसे हाल

कोरोना वायरस (Corona virus) के कारण देश में पिछले 2 महीनों तक लॉकडाउन (lockdown) से सब की रोजी-रोटी बंद हो गई थी। कोचिंग पढ़ा कर जीविका चलाने वाले कोचिंग संचालक भी भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। बरेली में लगभग 500 कोचिंग सेंटर (coaching centre) है जहां कई लोग काम करते हैं। ऐसे में इन सभी की कमाई बंद होने से रोजी रोटी का खतरा मंडरा रहा है।
Bareilly: ‘कोरोना से नहीं आर्थिक तंगी से मर जाएंगे’, लॉकडाउन के कोचिंग सेंटर के हैं ऐसे हाल
अपनी इन समस्याओं को लेकर आज कोचिंग संचालक डीएम ऑफिस पहुंच गए। कोचिंग संचालकों का कहना है कि उन लोगों ने किराये की बिल्डिंग (building) लेकर कोचिंग खोल रखे हैं। लॉकडाउन की वजह से करीब 3 महीने होने वाले है और कोचिंग संस्थान बन्द है। लेकिन बिल्डिंग का किराया बढ़ता जा रहा है। हर कोचिंग सेंटर में 5-6 लोगों का स्टाफ होता है। इस तरह करीब 3-4 हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं। घर में खाने को एक दाना नहीं है। शिक्षकों का कहना है की वो भले कोरोना से न मरे लेकिन अगर ऐसे ही चलता रहा तो आर्थिक तंगी से मर जायेंगे।
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निमित शर्मा, कोचिंग संचालक का कहना है कि वे कई सालों से बच्चो को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। ऐसे में वे ठेला भी नहीं लगा सकते। स्टाफ (staff) को सेलरी देने के लिए भी पैसा नहीं है। जब बाजार, मॉल, शराब की दुकाने खोल दी गई हैं। तो कोचिंग खोलने की भी सरकार को परमीशन देनी चाहिए। अनूप अग्निहोत्री कोचिंग संचालक का कहना है की उनके पास बैंक की क़िस्त चुकाने को पैसा भी नहीं है। बिल्डिंग का किराया देने के लिए भी पैसा नहीं है। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है।