BAREILLY: किसानों को अब उनकी मर्जी से दिया जाएगा फसल बीमा, किसानों की लिखित सहमति जरूरी

सरकार ने किसानों को राहत देते हुए फसल बीमा योजना (Crop Insurance Policy) को अब वैकल्पिक कर दिया है। अब किसान की लिखित सहमति पर ही उसे फसल बीमा दिया जाएगा। फसल बीमा के लिए अब बैंक अपनी मर्जी से किसानो के खाते से प्रीमियम (Premium) नहीं काट सकेंगी। इस संबंध में जिला कृषि कार्यालय
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BAREILLY: किसानों को अब उनकी मर्जी से दिया जाएगा फसल बीमा, किसानों की लिखित सहमति जरूरी

सरकार ने किसानों को राहत देते हुए फसल बीमा योजना (Crop Insurance Policy) को अब वैकल्पिक कर दिया है। अब किसान की लिखित सहमति पर ही उसे फसल बीमा दिया जाएगा। फसल बीमा के लिए अब बैंक अपनी मर्जी से किसानो के खाते से प्रीमियम (Premium) नहीं काट सकेंगी। इस संबंध में जिला कृषि कार्यालय (Agricultural office) को आदेश दे दिए गए हैं। इससे पहले केसीसी लेने वाले प्रत्‍येक किसान को जबरन बीमा दिया जाता था। बैंक से कर्ज लेने के दौरान उनके खातों प्रीमियम की रकम काट ली जाती। साथ ही किसानों को क्‍लेम न मिलने की शिकायतें भी आती थीं। 
BAREILLY: किसानों को अब उनकी मर्जी से दिया जाएगा फसल बीमा, किसानों की लिखित सहमति जरूरीकिसानों की ओर से आती शिकायतों के चलते अब इस व्यवस्था को वैकल्पिक (System optional) कर दिया है। नई व्यवस्था के तहत केसीसी (KCC) से लेने वाले किसानों से इस संबंध में पूंछा जाएगा। किसान की ओर से लिखित सहमति (written consent) के बाद ही बैंक अधिकारी फसल बीमा का फार्म भरेंगे।

प्रीमियम की रकम 
फसल बीमा के नाम पर किसानों से मोटी रकम ली जाती है। इसके बाद क्‍लेम के लिए किसानों को बैंको के चक्‍कर काटने होते हैं। फसल बीमा के लिए खरीफ फसलों में बीमा राशि का दो प्रतिशत, रबी में 1.5 प्रतिशत के साथ बागवानी फसलों में 5 प्रतिशत किसानों से लिया जाता है। जिले भर के किसानों से हर साल 20 करोड़ से ज्यादा का प्रीमियम काटा जाता है।
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BAREILLY: किसानों को अब उनकी मर्जी से दिया जाएगा फसल बीमा, किसानों की लिखित सहमति जरूरी                        https://youtu.be/yEWmOfXJRX8
जिला कृषि अधिकारी धीरेन्द्र सिंह चौधरी ने बताया कि केसीसी साथ फसल बीमा की अनिवार्यता को अब खत्म कर दिया गया है। अब किसान अपनी मर्जी से फसल बीमा लेने को स्वतंत्र हैं। वहीं इस प्रगतिशील किसान अरुण सिंह ने कहा कि फसल बीमा के नाम पर किसानों को ठगने का खेल किया जाता है। महंगा बीमा बेचने के बाद क्लेम के दौरान बीमा कंपनियां (insurance companies) मुंह मोड़ लेती थी। इससे किसानों को खासा नुकसान होता था।