अयोध्या के दर्शनीय स्थल, जो बरबस ही लागों को अपनी ओर खींच लाते हैं, जानिए क्या है यहां खास
अयोध्या के दर्शनीय स्थल- उत्तर प्रदेश में स्थित अयोध्या भारत के तीर्थ स्थलों में अपना बेहद अहम स्थान रखता है। मान्यता के अनुसार, अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है। प्राचीन धार्मिक नगरी तथा हिन्दुओ की आस्था का केंद्र अयोध्या सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध रहा है। अयोध्या नगरी विभिन्न रंगों में रंगी नगरी है, मानो इस पर रंगों की बौछार हुई हो। हर घर, हर आश्रम चटक रंगों में रंगा, अयोध्या को सजीव और चमकदार रूप प्रदान करता है। यहां की संकरी गलियां सायकल, मोटर और इंसानों के क्रियाकलापों से गुंजायमान रहतीं हैं। सही मायनों में यह एक अनोखा और अद्भुत शहर है। सरयू नदी के तट पर बसा यह नगर बहुत ही प्राचीन ही है। जानिए अयोध्या के दर्शनीय स्थल के बारे में….
हनुमानगढ़ी अयोध्या
अयोध्या के बीचों-बीच हनुमानगढ़ी में रामभक्त हनुमानजी का विशाल मंदिर है। कहा जाता है कि जब भगवान राम ने जीवन त्यागने के लिए सरयू नदी में समाधि लेने का निश्चय किया, तब उन्होंने हनुमानजी को बुलाया और उन्हें अपनी अयोध्या की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी। अयोध्या पर नजर रखने के लिए हनुमान एक पहाड़ पर बैठ गए। ऐसा माना जाता है कि उसी पहाड़ पर हनुमान गढ़ी मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर में मां अंजनी और बाल हनुमान की मूर्ति है। लोगों का मानना है कि इस मंदिर में सभी मन्नतें पूरी होती हैं। साल भर इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है।
यहां पहुंचने के लिए बहुत सारी ऊंची सीढिय़ां चढऩी पड़ती हैं। हनुमानगढ़ी मंदिर की सबसे स्पष्ट स्मृति है उसके चटक रंग और उसका भव्य नक्काशीदार चांदी का द्वार। मंदिर में हनुमान मूर्र्ति के स्थान पर एक अनियमित आकार का पत्थर रखा हुआ है। आप जब भी हनुमान मंदिर के दर्शन करने जाएं, उसकी छत पर अवश्य जाएं। यहां से सम्पूर्ण अयोध्या नगरी के दर्शन किये जा सकते हैं। यदि आपके पास परिदर्शक हो तो वह आपको अयोध्या के सारे मुख्य स्थल वहां से दिखा सकता है।
कनक भवन अयोध्या
अयोध्या का कनक भवन बेहद विशाल व भव्य मंदिर है। इसके मुख्य द्वार पर स्थित रंगीन नक्काशीदार कोटरिका युक्त मेहराब बेहद मनमोहक है। ऐसा कहा जाता है कि राजा दशरथ की सबसे छोटी रानी और राम की सौतेली माता कैकेयी ने यह महल सीता को उनके विवाहोपरांत मुंह दिखाई में दिया था। कनक भवन उसी महल का वर्तमान रूप है। मेरे परिदर्शक के अनुसार इस स्थान पर अलग-अलग समय पर अलग -अलग मंदिरों का निर्माण किया गया।
मंदिर के मुख्य दीवार पर लगी पट्टिका त्रेता युग, द्वापर युग और अब तक, समय समय पर किये गए नवीनीकरण व उनके उत्तरदायीयों के नामों का विस्तृत ब्यौरा देती है। कनक भवन के मंदिर में राम और सीता की अप्रतिम मूर्तियां हैं। यहां प्रसाद के रूप में भी राम और सीता के प्रतिरूप दिए जाते हैं। हमने इस मंदिर के दर्शन संध्याकाल में किये थे जब भगवान् की संध्या आरती की जा रही थी। मूर्ती के समक्ष विराजमान भक्तागण भक्ति से ओतप्रोत भजन गा रहे थे।
गुप्तार घाट अयोध्या
गुप्तार घाट घाट जो अयोध्या में सरयू के दूसरे तट पर स्थित है। यह एक अनूठा शांत घाट है, जिस पर हल्के पीले रंग का एक भव्य मंदिर है। यहां से चाट पकौड़ों की दुकानों के बाजू में कुछ रंग-बिरंगी नावें भी दिखायी दे रहीं थीं। उन्ही में से एक नाव पर सवार होकर हमने अयोध्या की तरफ यात्रा की शुरुआत की। कुछ लोग वहां रेत के टापुओं पर अंतिम क्रिया सम्पन्न कर रहे थे।
गुप्तार घाट घाट से जुडी दंतकथा कहती है कि भगवान राम ने सरयू नदी में जलसमाधि लेने हेतु इसी घाट से प्रवेश किया था। सरयू नदी का पाट अत्यंत चौड़ा है। उस पर लम्बी नौका सवारी का आनंद लिया जा सकता है।
राजा दशरथ का महल
अयोध्या के बीचों-बीच में स्थित है। यह माना जाता है कि इस भवन को ठीक उसी जगह बनाया गया है जहां राजा दशरथ का असली निवास हुआ करता था और भगवान राम के पिता का अस्तित्व भी इसी स्थान से जुड़ा हुआ है। इस भवन के मंदिर में श्री राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्तियां लगी हुई है। इस मंदिर का प्रवेश द्वार बेहद बड़ा और रंगीन है। इस परिसर में काफी संख्या में जमा होकर श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते रहते हैं।
सीता की रसोई
माता सीता के नाम पर बनी सीता की रसोई कोई शाही रसोई नहीं बल्कि एक मंदिर है। यह मंदिर राम जन्म भूमि के उत्तरी – पश्चिमी भाग में स्थित है। इस मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न व उन सभी की पत्नियों सीता, उर्मिला,मांडवी और सुक्रिर्ति की मूर्ति लगी हुई हैं।इस रसोई में प्रतीकात्मक रसोई के बर्तन रखे हैं जिनमें रोलिंग प्लेट या चकला और बेलन आदि को देखा जा सकता है।
राम की पौड़ी
जिस तरह हरिद्वार में हर की पौड़ी स्थित है उसी तरह अयोध्या में राम की पौड़ी स्थित है। यहां नयाघाट है जहां श्रद्धालु अयोध्या में सरयु नदी में स्नान करते है। इस घाट पर भारी संख्या में भक्त स्नान करने आते हैं और पवित्र नदी में पवित्र डुबकी लगाते है।और मानते हैं कि इससे पाप धुल जाते है।
राम कथा पार्क
यह एक बहुत बड़ा पार्क है.यहां ओपन एयर थियेटर यानि मैदान में थियेटर की व्यवस्था है जहां कई प्रकार के सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यो का आयोजन किया जाता है। इस पार्क में हमेशा जनता प्रवचन, शास्त्र और अन्य धार्मिक गतिविधियां गाने – बजाने के साथ चलती रहती हैं।
तुलसी स्मारक अयोध्या
तुलसी स्मारक वही जगह है, जहां बैठकर गोस्वामी तुलसी दास जी रामायण की रचना की थी। इस स्मारक का निर्माण सन 1969 में श्री विश्वनाथ दास जी ने कराया था। यह भवन 300 फीट की ऊंचाई पर राजगंज क्रॉसिंग पर राष्ट्रीय राजमार्ग के पूर्वी हिस्से में स्थित है।
श्रीराम जन्मस्थान
श्रीराम के जन्मस्थान पर अभी रामलाल की मूर्ति विराज है। जहां पर अब सुप्रीम कोर्ट के अनुदेशानुसार वहां पर भव्य राम मंदिर बनाने की तैयारी चल रही है। भक्तगण लंबी-लंबी कतारों में कड़ी सुरक्षाव्यवस्था से गुजरकर रामलला के दर्शन करते हंै।
दन्तधावन कुंड
अयोध्या नगरी के बीचोबीच हुनमानगढ़ी इलाके में ही एक बड़ा सा कुंड है, जो दन्तधावन कुंड नाम से जाना जाता है। इसे ही राम दतौन भी कहते हैं। कहा जाता है कि श्रीराम इसी कुंड के जल से सुबह अपने दांतों की सफाई करते थे।
श्रीराम मंदिर कार्यशाला
अयोध्या में प्रस्तावित श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए एक कार्यशाला बनाई गई है, जहां विशाल पत्थरों के स्तंभों को बेहद खूबसूरती के साथ तराशा गया है, जिस पर सुंदर नक्काशी की गई है। लोग इस स्थान को भी देखने आते हैं।
सरयू नदी
सरयू नदी का जल एकदम साफ दिखाई पड़ता है। नदी में स्नान कर रहा कोई व्यक्ति इसकी तलहटीी को एकदम साफ निहार सकता है। पर्यटक इस नदी को नौका से भी पार करते हैं। मान्यता है कि सरयू नदी को ही पार करके श्रीराम जंगल गए थे। नदी के तट पर केवट प्रसंग का स्मरण हो आना अत्यंत स्वाभाविक है।
सरयू नदी आरती
शाम के समय हमने घाट पर सरयू आरती में भाग लिया। मैंने इससे पहले ऐसी आरती वाराणसी में गंगा की और बटेश्वर में यमुना की देखी थीं। मेरे अनुमान से यह एक नयी शुरुआत है। जैसे जैसे शहरों का विकास होता है, नए नए अनुष्ठान भी जुड़ते चले जाते हैं। नदियों के घाटों पर संध्या आरती भी 21वीं सदी का नवीन अनुष्ठान प्रतीत होता है। कुछ भी कहिये, हजारों की संख्या में नदी में तैरते, जलते हुए मिट्टी के दिए, यह एक अत्यंत ही मनोहार दृश्य होता है।
दिगंबर जैन मंदिर अयोध्या
अयोध्या जैन मतावलंबियों के लिए भी पवित्र तीर्थ है। मान्यता है कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव (आदिनाथ)का जन्म यहीं हुआ था।
ऋषभदेव की भव्य प्रतिमा
दिगंबर जैन मंदिर में स्वामी ऋषभदेव की भव्य प्रतिमा विराजमान है। आसपास का वातावरण बेहद शांतिमय है, जो हर किसी को सुकून देता है।
ऐसा था ऐतिहासिक बाबरी ढांचा
इस ऐतिहासिक इमारत की जगह अब विशाल टीले नजर आते हैं। भारत के प्रथम मुगल बादशाह बाबा के आदेश पर 1527 में इसका निर्माण किया गया था। मीर बाकी ने इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा था।
कब जाएं अयोध्या
अयोध्या में भ्रमण करने का सबसे अच्छा समय नवंबर से मार्च के दौरान होता है। वैसे यहां साल के अन्य दौर में मौसम काफी गर्म और शुष्क रहता है। हालांकि, अयोध्या एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जहां साल के सभी दिन श्रद्धालु आते हैं और दर्शन करते हैं।
कैसे पहुंचे अयोध्या
अयोध्या अच्छी तरह से एयर, वायु और सडक़ के द्वारा जुड़ा हुआ है।
हवाई जहाज द्वारा- अयोध्या का नजदीकी एयपोर्ट लखनऊ एयरपोर्ट है…पर्यटक लखनऊ से बस या टैक्सी से आसानी से अयोध्या पहुंच सकते हैं।
रेलवे स्टेशन- अयोध्या का नजदीकी रेलवे स्टेशन अयोध्या का जंक्शन स्टेशन हैं…
सडक़ द्वारा- टैक्सी से आसानी से पहुंच सकते हैं।