कविता-हमने अपने मौलिक सपने देश की खातिर बचाए हैं

उत्तराखंड के लोकप्रिय वेब पोर्टल न्यूज टुडे नेटवर्क की ओर से स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आॅनलाइन कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बाल, युवा और वरिष्ठ सभी वर्गों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतियोगिता में मेरे प्यारे वतन विषय पर देशभक्ति से ओत.प्रोत स्वरचित कविता लिखकर 20 अगस्त तक भेजनी
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कविता-हमने अपने मौलिक सपने देश की खातिर बचाए हैं

उत्तराखंड के लोकप्रिय वेब पोर्टल न्यूज टुडे नेटवर्क की ओर से स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आॅनलाइन कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बाल, युवा और वरिष्ठ सभी वर्गों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतियोगिता में मेरे प्यारे वतन विषय पर देशभक्ति से ओत.प्रोत स्वरचित कविता लिखकर 20 अगस्त तक भेजनी है। इसके तहत जीजीआईसी मासी अल्मोड़ा की छात्रा योगिता फुलोरिया की शानदार कविता पढ़िए-

हमने अपने मौलिक सपने देश की खातिर बचाए हैं।
लहू सींचकर चमन खिलाया प्राण हलक से खींचे हैं।

हमने सत्ताधीशों के पैरों से धरती छीनी है।
कितने भागे खेत छोड़ कितनों की लाशें बिछी हैं।

शांति अहिंसा की अभी बंद करो दुकान,
अस्वीकार्य है इस तरह वीरों का अपमान।

संकट में दिखने लगा ज्यों ही पाकिस्तान।
त्यों ही चालू हो गया शांति स्नेह अभिमान।

संस्कार और संस्कृति की शान मिले ऐसे।
हिंदू, मुस्लिम और हिंदुस्तान मिले ऐसे।

हमें मिलजुल के रहे ऐसे जैसे,
जमाने भर में मिलते हैं आशिक वैसे।