झारखंड की चर्चित आदिवासी कवयित्री जसिन्ता केरकेट्टा को फोर्ब्स ने सेल्फ मेड वीमेन लिस्ट में शामिल किया
1983 में जन्मी जसिन्ता के पहले हिन्दी-इंग्लिश द्विभाषिक काव्य-संग्रह अंगोर का अनुवाद जर्मन, इतालवी और फ्ऱेंच भाषाओं में प्रकाशित हुआ। दूसरे हिन्दी-इंग्लिश द्विभाषिक काव्य-संग्रह जड़ों की जमीन का अनुवाद अंग्रेजी और जर्मन भाषा में प्रकाशित हुआ। 2014 में आदिवासियों के स्थानीय संघर्ष पर उनकी एक रिपोर्ट पर बतौर आदिवासी महिला पत्रकार उन्हें इंडिजिनस वॉयस ऑफ एशिया का रिक्गनिशन अवॉर्ड, एशिया इंडिजिनस पीपुल्स पैक्ट, थाईलैंड की ओर से दिया गया। इसके अलावा उन्हें यूएनडीपी फेलोशिप, प्रेरणा सम्मान, रविशंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता पुरस्कार, अपराजिता सम्मान, जनकवि मुकुट बिहारी सरोज सम्मान, वेणु गोपाल स्मृति सम्मान और डॉ. रामदयाल मुंडा स्मृति सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
अपने कविता संसार में जल, जंगल, जमीन और आदिवासी चिंताओं को स्वर देने वाली जसिन्ता केरकेट्टा आज दुनिया के कई हिस्सों में चर्चित हो चुकी हैं। उन्होंने कई देशों में लेक्च र दिया है। इटली, जर्मनी, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के कई विश्वविद्यालयों में कविता संवाद कर चुकी हैं। वह झारखंड की पहली आदिवासी कवयित्री हैं जिनकी कविताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक साथ तीन भाषाओं में प्रकाशित किया गया है।
इंडिया टुडे की नई नस्ल नए नुमाइंदे- 2022 की सूची में भी उन्होंने जगह बनाई, मैगजीन आउटलुक ने भी उन्हें जगह दी। साहित्य के महाकुंभ साहित्य आजतक में भी वह शामिल रहीं। हाल ही में राजकमल प्रकाशन द्वारा जसिंता केरकेट्टा का कविता संग्रह ईश्वर और आवाज प्रकाशित हुआ है।
--आईएएनएस
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