मिलकर सहेजेंगे पंडित राधेश्याम कथावाचक की स्मृतियां, संकल्प के साथ स्मृति समारोह का समापन
-पंडित राधेश्याम को पढ़ें, एकता की मिसाल कायम करें: सरेशवाला
-पंडित जी राधेश्याम कथावाचक साहित्य धारा के अंग्रदूत- डीएम
-पंडित राधेश्याम की यादों को सहेजना बहुत जरूरी: वीरेन्द्र सिंह
- व्यवसायीकरण देख फिल्मों से दूर हो गए थे पंडित जी: पांचाले
न्यूज टुडे नेटवर्क / साहित्य शिरोमणि राधेश्याम कथावाचक की जयंती पर बरेली में आयोजित स्मृति समारोह के दूसरे दिन पंडित जी की साहित्य यात्रा पर लंबा विमर्श हुआ। फ़यूचर कॉलेज में आयोजित समारोह में जुटे प्रधानमंत्री के सलाहकार जफर सरेशवाला, यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह, बिथरी विधायक डॉ. राघवेन्द्र शर्मा, जिलाधिकारी बरेली शिवाकांत द्विवेदी साहित जाने माने इतिहासकार, नाटककार और पत्रकारों ने कहा कि पंडित जी का लिखा साहित्य देश और समाज के लिए हमेशा प्रासंगिक है। सभी ने इस बात पर चिंता जताई कि पंडित राधेश्याम के महान व्यक्तित्व और कृतित्व के हिसाब से इतिहास में उन्हें स्थान नहीं दिया गया। विचार गोष्ठी, विशेष व्याख्यानों में कहा गया कि सामाजिक संस्कार, संस्कृति, सरोकार सशक्त करने को नई पीढ़ी ज्यादा से ज्यादा पंडित राधेश्याम कथावाचक के लिखे साहित्य पढ़े और मजबूती से कामयाबी की राह पर आगे बढ़े। देर शाम हुए समापन समारोह में सभी इस संकल्प के साथ विदा हुए कि पंडित राधेश्याम कथावाचक के साहित्य व दूसरी स्मृतियों को सहेजने के लिए मिलकर प्रयास किए जाएंगे।
समारोह के खास मेहमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सलाहकार अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जफर सरेशवाला ने कहा कि पंडित राधेश्याम कथावाचक को उन्होंने खूब पढ़ा है। राधेश्याम रामायण बहुत उम्दा है। शायर जलालपुरी ने रामायण को उर्दू में कन्वर्ट किया था। कहा कि अगर हिन्दू मजहब को पहचानना है तो रामायण और महाभारत को पढ़िए। गीता-रामायण पढ़े बिना कैसे जानेंगे कि हिन्दू धर्म क्या है। ऐसे ही अगर आप मुस्लिम धर्म को जानना चाहते हैं तो कुरान पढ़िए। एक दूसरे को जानें, ये हमारी पुरानी परंपरा है। पंडित राधेश्याम को लेकर हमें एकता की मिसाल कायम करनी होगी, क्योंकि धर्म से पहले हम हिंदुस्तानी हैं। मौलाना अबुल कलाम आजाद ने दो कोमियत की खिलाफत की थी। आजाद ने कहा था कि हम अगर दूसरे देश में जाते हैं तो हम हिंदुस्तानी हैं। मजहब भले अलग हों मगर हम सब हिंदुस्तानी हैं।
समारोह में मुख्य अतिथि यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि पंडित राधेश्याम कथावाचक ने देश और साहित्य के प्रति अतुलनीय योगदान दिया। उनकी स्मृतियों को मिलकर सहेजने की आवश्यकता है। पंडित जी का लेखन देश और समाज के हमेशा काम आएगा। डीएम बरेली शिवाकांत द्विवेदी ने कहा कि जन सामान्य को पंडित राधेश्याम स्मृति के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है। राधेश्याम रामायण जितनी उत्कृष्ट, इसे उतना स्थान नहीं दिया गया। राधेश्याम रामायण सिर्फ लोक साहित्य नही है। पंडित जी का साहित्य राष्ट्रीयता और सनातनी परंपरा से ओतप्रोत नजर आता है। = जिलाधिकारी ने कहा कि उनका प्रयास होगा कि पंडित राधेश्याम कथावाचक उत्कृष्ट कार्य अवश्य किए जाते रहें। यूपी के ग्राम्य विकास आयुक्त एवं बरेली के जिलाधिकारी रह चुके वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि पंडित राधेश्याम कथावाचक ने गुलाम भारत में जन्म लिया और आजाद हिन्दुस्तान भी देखा। यह स्थिति बहुत पीड़ादायक है कि हमने इतिहास को संजोने का प्रयास नहीं किया। सोचें कि पंडित जी का जीवन कैसा रहा होगा। बिहारीपुर जहां पंडितजी जन्मे, तब वह कैसा था। जहां उनके नाटकों की रिहर्सल होती थी, वो जगह कहां थी। अलवर हाउस और वो बगिया जहां बैठकर, वो डायरी लिखते थे, क्या कोई उनकी ओर देखता है। इन सभी चीजों को संजोने की आवश्यकता है।
इतिहासकार रणजीत पांचाल ने कहा कि पंडित जी को देश महान विभूतियां सम्मान देतीं थी। महात्मा गांधी, पंडित नेहरू उन्हें अच्छे से जानते थे। मुंशी प्रेमचंद उनके मित्र थे । 1931 में जब पंडित जी कलकत्ता में कथा करने गए, तो मिस्टर मदान के थियेटर में कलाकार उनसे रामकथा सुनने को जुटे नजर आए थे। मदान के कहने पर उन्होंने शकुंतला फिल्म के लिए डायलॉग-कथानक लिखे थे। मास्टर निसार उस वक्त के मशहूर अभिनेता थे। 1916 में दिल्ली में आयोजित वीर अभिमन्यु नाटक के मंचन में उन्होंने उत्तरा का रोल किया। मास्टर निसार पंडित जी के अभिन्न मुरीद थे। पंडित जी ने कई फिल्मों में गीत-कहानी लिखे। मगर फिल्मी दुनिया में महिला-पुरुष व्यवहार और व्यवसायीकरण ने उन्हें व्यथित किया और वह फिल्मों से दूर हो गए।
पूर्व कमिश्नर वीरेन्द्र सिंह के साथ साहित्यकार हरीशंकर शर्मा और वरिष्ठ पत्रकार प्रभात ने राधेश्याम कथावाचक कालीन बरेली विषय पर व्याख्यान देते हुए पंडित जी के बारे में कई अनछुए पहलुओं से सबको अवगत कराया। पंडित राधेश्याम के नाटकों में सामाजिक चेतना विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में डॉ अशोक उपाध्याय, रमेश गौतम, डॉ अवनीश यादव, डॉ लवलेश दत्त ने पंडित के कृतित्व पर प्रकाश डाला। इसके बाद पंडित राधेश्याम की तर्ज पर पंडित अतुल शर्मा ने गायन प्रस्तुत किया। इसके बाद श्री श्रीराम लीला समिति सुभाषनगर बरेली के कलाकारों ने सीता स्वयंवर नाटक की जीवंत प्रस्तुति दी। नाटक का निर्देशन डॉ अखिलेश सिंह कैसर ने किया।
समारोह में पहुंचे प्रधानमंत्री के सलाहकार, कौमी एकता के पैरोकार मौलाना आजाद नेशनल यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर जफर सरेशवाला, कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह सहित सभी मेहमानों का कार्यक्रम संयोजक डॉ आशीष गुप्ता , कुलभूषण शर्मा, डॉ स्वतन्त्र कुमार ने सम्मानित किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से पंडित राधेश्याम के प्रपौत्र संजय शर्मा के विथरी विधायक डा. राघवेन्द्र शर्मा, डा. विमल भारद्वाज, डा. विनोद पागरानी, दिनेश्वर दयाल सक्सेना, रंजीत शर्मा, सहित तमाम बुदि़धजीवी, साहित्यकार, इतिहासकार, नाटककार, कलाकार, पत्रकार मौजूद रहे।