उत्तराखंड - लोकगायक और शिक्षक डॉ. राकेश रयाल का ‘मेरी हिरू’ गढ़वाली गाना लांच, आप भी सुनिए आनंद आ जायेगा 
 

 
उत्तराखंड - लोकगायक और शिक्षक डॉ. राकेश रयाल का ‘मेरी हिरू’ गढ़वाली गाना लांच, आप भी सुनिए आनंद आ जायेगा Meeru Heeru Garhwali News

Meri Heeru Garhwali Song - किसी भी प्रदेश की पहचान उसकी संस्कृति, परिवेश, भेष-भूषा, रहन- सहन, खान - पान और बोली-भाषा के तौर पर होती है, जो अपनी संस्कृति को संजोये रखने का काम करें भला उससे बड़ा कौन संस्कृति प्रेमी हो सकता है, जी हाँ हम बात कर रहे हैं एक ऐसे शिक्षक की, जो एक शिक्षक के साथ- साथ संस्कृति प्रेमी भी हैं, उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी (Uttarakhand Open University) में मास कम्युनिकेशन (HOD Mass communication UOU) के विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश रयाल एक तरफ जंहा विश्विद्यालय में लगातार अपनी सेवाएं देकर उत्तराखंड की पत्रकारिता को एक नई धार देने का काम कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर वह अपने गीतों के माध्यम से  समाज में एक नई चेतना और अलख जलाने का भी काम भी  कर रहे हैं.

 

उत्तराखंड की लोक संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए पिछले लंबे समय से उत्तराखंडी लोकगीतों को अपनी आवाज दे रहे लोग गायक डॉ. राकेश रयाल का एक और गढ़वाली लोकगीत लोगों के बीच लॉन्च हो गया है. आरसी म्यूजिक की ओर से जारी यूट्यूब में यह गीत बुधवार दोपहर लॉन्च हुआ. “मेरी हिरू” गीत को डॉ राकेश रयाल (Dr. Rakesh Rayal Meri Heeru Songs) और प्रतीक्षा बमराड़ा ने गाया है. इस गीत की धुन भी डॉ राकेश रयाल की है जबकि संगीत अश्वजीत सिंह ने दिया है और रिदम रणजीत सिंह का और स्टूडियो में गुंजन डंगवाल ने साथ दिया है। यूट्यूब में लॉन्च होते ही यह गीत दर्शकों की पसंद बनते जा रहा है आप भी इसका आनंद लीजिए. 

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राकेश रयाल आपके गीतों के माध्यम से उत्तराखंड के कल्चर, यंहा के राजनीतिक परिक्षेत्र और लोक समाज के विषयों पर समय- समय पर गीत लिखते हैं और इसका खूबसूरत चित्रण भी वह अपने यूट्यूब चैनल पर डालते हैं। डॉ. रयाल को अपनी संस्कृति से बचपन से ही लगाव रहा है, स्कूल और कॉलेज के समय से ही गाने और संस्कृति से सम्बंधित लेख लिखने में इनकी रुचि रही है। लोक गीतों के साथ वह अपने उत्तराखंड के हित से सम्बंधित विषयों को भी डॉ रयाल बड़ी बेबाकी से उठाते हैं उसमें लोगों का भी अपने कल्चर को लेकर अपार समर्थन देखने को मिलता है.