हल्द्वानी - उत्तराखंड में राशन कार्डधारकों को अभी नहीं मिलेगा चावल, इस वजह से करना होगा और थोड़ा इंतजार

 

हल्द्वानी - प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत राशन कार्डधारकों को मिलने वाला दिसंबर माह का चावल अब तक डीलरों तक नहीं पहुँच पाया है। इसका मुख्य कारण फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) की खरीद में आई दिक्कतें हैं। एफआरके की अनुपलब्धता के चलते राइस मिलों से सरकारी सस्ते गल्ले के गोदामों तक चावल की आपूर्ति ठप पड़ी है। अनुमान है कि दिसंबर के अंत तक गोदामों में चावल पहुँच पाएगा।

नियमों के अनुसार डीलरों को एक सप्ताह पहले अग्रिम राशन मिलता है। यानी दिसंबर का राशन 23 नवंबर से उपलब्ध होना था, लेकिन अब तक वितरण शुरू नहीं हो पाया है। पहले तक सरकार आपूर्तिकर्ताओं से एफआरके खरीदती थी, लेकिन अब नियम बदल दिए गए हैं। नए प्रावधानों के तहत एफआरके सीधे उत्पादन करने वाली कंपनियों से खरीदा जाएगा। खरीद से पहले इसकी गुणवत्ता की जाँच केंद्र सरकार की प्रयोगशालाओं में अनिवार्य कर दी गई है। इस प्रक्रिया में समय लगने से चावल की आपूर्ति अटक गई है।

राइस मिल संचालकों का कहना है कि धान की खरीद के बाद चावल तैयार है, लेकिन एफआरके न मिलने के कारण वे उसे सरकार को आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। एफआरके की अनिवार्यता के चलते स्कूलों में मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है।


20 दिसंबर तक नहीं मिली आपूर्ति तो दो महीने का राशन एक साथ बांटा जाएगा
आल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष रेवाधर बृजवासी ने कहा कि समस्या को उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है। जल्द समाधान की उम्मीद है। उन्होंने चेताया कि यदि 20 दिसंबर तक चावल की आपूर्ति नहीं हुई, तो जनवरी में एक साथ दो महीने का राशन वितरित करना पड़ेगा।

क्या है एफआरके?
फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) पोषक तत्वों से समृद्ध चावल है, जिसे कुपोषण और एनीमिया से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने अनिवार्य किया है।
एक किलो चावल में 10 ग्राम एफआरके मिलाया जाता है, जिसमें विटामिन B12, आयरन, फोलिक एसिड और जिंक शामिल होते हैं। इसका उद्देश्य महिलाओं और बच्चों में खून की कमी व अन्य पोषक तत्वों की कमी को दूर करना है।

रणवीर सिंह चौहान, आयुक्त, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने बताया— “लैब में एफआरके की जाँच प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मंजूरी मिलते ही चावल की नियमित आपूर्ति गोदामों तक पहुँचाई जाएगी।”