हल्द्वानी - अंकित जोशी का NASA में हुआ चयन, जानिए कौन हैं अंकित जो अमेरिका की स्पेस एजेंसी में देंगे सेवायें 
 

 
हल्द्वानी - अंकित जोशी का NASA में हुआ चयन, जानिए कौन हैं अंकित अमेरिका की स्पेस एजेंसी में देंगे सेवायें Ankit Joshi Haldwani NASA

Haldwani Ankit Joshi NASA - हल्द्वानी निवासी अंकित जोशी का चयन नासा-यूएसऐड में एशिया समन्वयक के पद पर हुआ है। अंकित सर्विर साइंस कोऑर्डिनेशन ऑफिस के कोर मेंबर के रूप में अपनी सेवाएं देंगे। मूल रूप से रानीखेत और वर्तमान में ऊंचापुल हल्द्वानी निवासी अंकित (Ankit Joshi Haldwani NASA) की स्कूली शिक्षा नैनीताल के शेरवुड कॉलेज से हुई है। मुंबई विवि से अंग्रेजी में स्नातक करने के बाद सिंगापुर, डेनमार्क और दिल्ली विश्वविद्यालय से आगे की पढ़ाई की। अंकित के पिता मोहन चंद्र जोशी चीनी उद्योग से सेवानिवृत्त हैं जबकि माता मंजू जोशी गृहिणी हैं। भाई अभय हैदराबाद में कार्यरत हैं और बहन अपर्णा शिक्षा के क्षेत्र में दिल्ली में कार्य कर रही हैं। वह प्रसिद्ध फोटोग्राफर पद्मश्री अनूप साह के दामाद हैं। अंकित ने बताया कि वर्तमान में सर्विर के दक्षिण पूर्वी एशिया के बैंकाक स्थित कार्यालय में सेवा दे रहे हैं। फरवरी में उन्हें नए संस्थान में ज्वाइन करना है। 

 

अंकित उत्तराखंड के केदारनाथ में साल 2013 में आई आपदा के बाद विशेषज्ञों की टीम के साथ यहां सर्वे कर चुके हैं। उन्होंने चंडीगढ़ से हल्द्वानी तक बाढ़ और भूकंप पर सर्वे किया है। अंकित ने बताया की नासा के पास काफी डेटा है। हमारा प्रयास रहेगा कि आपदा भूकंप, बाढ़ और वनाग्नि की सूचना सरकार को पहले दी जा सके। नेहरू पर्यावरण संस्थान उत्तरकाशी से भी अंकित पर्वतारोहण का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने 18000 फीट की चोटियों में पर्वतारोहण किया है। 


अंकित जोशी ने बताया की ‘सर्विर’ अमेरिका की नासा और अमेरिका की अंर्तराष्ट्रीय विकास संस्था (यूएसऐड) का संयुक्त उपक्रम है। ये संस्था विश्वभर में विकासशील देशों को अंतरिक्ष के उपग्रहों से प्राप्त जानकारियों के आधार पर जलवायु परिवर्तन से निपटने, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण विषयों और भू-उपयोग के संबंध में सहायता देती है। अंकित की ओर से मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर के हिंदुकुश और दक्षिण पूर्वी एशिया के लिए नासा के उपग्रह से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर संबंधित देशों को सहायता प्रदान की जाएगी। इसमें मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन, कृषि, भू-उपयोग और पारिस्थिकीय विषयों पर मदद की जाएगी।