देहरादून - हरिद्वार हादसे पर बोले नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, सरकार और प्रशासनिक की लापरवाही से गई 8 जानें

 

देहरादून/हरिद्वार - हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में भगदड़ की घटना को लेकर उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने राज्य सरकार और प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में अब तक 7 श्रद्धालुओं की मौत पूरी तरह से प्रशासनिक विफलता और सरकारी लापरवाही का नतीजा है।

यशपाल आर्य ने दिवंगत श्रद्धालुओं के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। उन्होंने कहा कि कई श्रद्धालु अब भी अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक सुस्ती आज भी बनी हुई है।

श्रावण मास में भीड़ तय थी, फिर भी कोई तैयारी नहीं - 
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि श्रावण मास की शिवरात्रि के बाद का पहला वीकेंड हर वर्ष हरिद्वार में भीड़भाड़ वाला होता है, यह बात प्रशासन जानता था, फिर भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव के चलते बड़ी संख्या में पुलिस बल चुनाव ड्यूटी पर लगा दिया गया और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को नजरअंदाज किया गया।

वन-वे नियम तोड़ा गया, अव्यवस्था फैली - 
आर्य ने बताया कि सामान्यतः भीड़ बढ़ने पर मनसा देवी मंदिर की सीढ़ियों वाले मार्ग को वन-वे किया जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया। दोनों ओर से आवाजाही होने के कारण भगदड़ जैसी स्थिति बनी और लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए।

20 मिनट देर से पहुंची पुलिस, स्थानीय लोगों ने बचाई जान - 
आर्य ने कहा कि हादसे के बाद पुलिस घटनास्थल तक पहुंचने में 20 मिनट देर कर गई, जबकि सबसे पहले स्थानीय लोगों ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। उन्होंने मंदिर प्रशासन पर भी सवाल उठाए कि उन्होंने पुलिस को समय रहते कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी और प्रशासन के साथ तालमेल की कमी के चलते हालात बिगड़े।

सरकार असली आंकड़े छुपा रही है - 
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय लोगों से बातचीत के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार असली मौत के आंकड़े छुपा रही है। उन्होंने दावा किया कि मृतकों की संख्या 15 से अधिक हो सकती है, लेकिन प्रशासन सच्चाई को सामने नहीं ला रहा।

कांग्रेस की माँग — दोषियों पर हो कार्रवाई - 
यशपाल आर्य ने कहा कि कांग्रेस पार्टी सरकार से मांग करती है कि हादसे के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। मृतकों की वास्तविक संख्या सार्वजनिक की जाए। घटना की पारदर्शी जांच हो और रिपोर्ट जनता के सामने लाई जाए। यह स्पष्ट किया जाए कि इस त्रासदी की जिम्मेदारी कौन लेगा?