International Day of the Girl Child : उत्तराखंड देश में सबसे खराब लिंगानुपात वाला राज्य, हर साल गिर रहा है ग्राफ 
 

 

International Day of the Girl Child : हर साल 11 अक्टूबर को दुनिया के कई देशों में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है, लेकिन आज भी लिंगानुपात में बालिकाओं के आंकड़े हैरान करने वाले हैं भारत मैं आज भी प्रति हजार बालकों मैं 914 बालिकाएं जन्म ले रही हैं। 


उत्तराखंड में लिंगानुपात - (Sex Ratio Uttarakhand 2022) 
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में यह स्थिति और ख़राब है। यहाँ एक हजार जन्मे शिशुओं में अब बच्चियों की संख्या देश भर में सबसे कम 840 रह गई है. 2017 से 2019 के बीच यह 848 पाई गई थी. उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में जहां प्रति हजार जन्म पर 853 बच्चियां जन्म ले रहीं हैं तो शहरी इलाकों में इनकी संख्या गिर कर मात्र 821 रह गई है. लेकिन इसके बावजूत पहाड़ के सापेक्ष शहरी इलाकों में घटती हुई इस बालिका शिशु दर के पीछे छुपे कई कारक हैं. जिनमें आज लिंग परीक्षण पर कठोर सरकारी प्रतिबंध हैं. लेकिन भ्रूण जाँच की बढ़ती सुविधाओं को एक्सपर्टस सबसे महत्वपूर्ण कारण मानते हैं. 


आईये जानते हैं अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य - 
इस साल बालिका दिवस 'अब हमारा समय है- हमारे अधिकार हमारा भविष्य' (Our Time is now- our rights, our Future) थीम के तहत मनाया गया।  दरअशल अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 अक्टूबर को दुनिया के 50 से ज्यादा देशों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य नारी शक्ति की ओर लोगों को जागरूक करना और साथ ही महिलाओं को उनके हेल्थ को लेकर अवेर्नेस और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना होता है। दुनिया के सभी देशों में स्त्री को उसका सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.  

उत्तराखंड की महिला सशक्तीकरण व बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने हल्द्वानी में कहा बेटियां अपनी शक्ति को पहचानें। माहवारी का विषय डर, शर्म का नहीं है। यह प्राकृतिक है। यह महिला या बेटियों का नहीं बल्कि समाज का विषय है। उन्होंने बेटियों से आह्वान किया कि वह निसंकोच सेनेटरी पैड मांगे. सरकार आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से एक रुपये में एक सेनेटरी नैपकिन दे रही है।