देहरादून- उत्तराखंड की वंदना शिवा को इसलिए मिले कई अवार्ड, देश के साथ ऐसे कमाया विदेश में भी नाम

वंदना शिवा एक भारतीय विद्वान, पर्यावरण कार्यकर्ता और वैश्वीकरण विरोधी लेखक हैं। जो अबतक 20 से अधिक पुस्तकें लिख चुकी हैं। वंदना का जन्म 5 नवंबर 1952 को उत्तराखंड के देहरादून में हुआ। नैनीताल के सेंट मैरी कॉन्वेंट हाई स्कूल में, और देहरादून के कॉन्वेंट ऑफ़ जीसस एंड मैरी में उनकी शिक्षा हुई। वह एक
 
देहरादून- उत्तराखंड की वंदना शिवा को इसलिए मिले कई अवार्ड, देश के साथ ऐसे कमाया विदेश में भी नाम

वंदना शिवा एक भारतीय विद्वान, पर्यावरण कार्यकर्ता और वैश्वीकरण विरोधी लेखक हैं। जो अबतक 20 से अधिक पुस्तकें लिख चुकी हैं। वंदना का जन्म 5 नवंबर 1952 को उत्तराखंड के देहरादून में हुआ। नैनीताल के सेंट मैरी कॉन्वेंट हाई स्कूल में, और देहरादून के कॉन्वेंट ऑफ़ जीसस एंड मैरी में उनकी शिक्षा हुई। वह एक सहभागी सोसायटी के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन की सदस्य हैं।

देहरादून- उत्तराखंड की वंदना शिवा को इसलिए मिले कई अवार्ड, देश के साथ ऐसे कमाया विदेश में भी नाम

मिल चुके कई अवार्ड

उन्होंने भारत और विदेशी सरकारों के साथ-साथ गैर-सरकारी संगठनों के सलाहकार के रूप में भी काम किया है। जिसमें अंतर्राष्ट्रीय मंच पर वैश्वीकरण, महिला पर्यावरण, विकास संगठन और तीसरा विश्व नेटवर्क शामिल है। वह wto के खिलाफ भारतीय जन अभियान की संचालन समिति की सदस्य भी हैं। वंदना शिवा जैविक खेती पर भारत सरकार की समितियों में कार्य भी करती है। उन्हें 1993 में राइट लाइवलीहुड अवार्ड, 2010 में sydney peace prize और 2016 में मिरोदी अवार्ड मिल चुका है।