रेड्डी से बोले जेपी नड्डा - आपका अनुभव और नेतृत्व कौशल पार्टी के लिए एक अमूल्य योगदान होगा

नई दिल्ली, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी का भाजपा में स्वागत करते हुए कहा है कि उनका अनुभव और नेतृत्व कौशल पार्टी के लिए एक अमूल्य योगदान होगा।
 
नई दिल्ली, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी का भाजपा में स्वागत करते हुए कहा है कि उनका अनुभव और नेतृत्व कौशल पार्टी के लिए एक अमूल्य योगदान होगा।

शुक्रवार को पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय में भाजपा का दामन थामने के बाद किरण रेड्डी ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। रेड्डी के पार्टी में आने से उत्साहित नड्डा ने इस मुलाकात की तस्वीर स्वयं शेयर करते हुए ट्वीट कर कहा, मैं आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी का भाजपा परिवार में स्वागत करता हूं। आपका विशाल अनुभव और नेतृत्व कौशल पार्टी के लिए एक अमूल्य योगदान होगा। मुझे विश्वास है कि आप हमारी पार्टी को आंध्र प्रदेश और इसके लोगों के उज्जवल भविष्य की दिशा में काम करने में मदद करेंगे।

किरण रेड्डी को भाजपा में शामिल करवा कर पार्टी आलाकमान ने दक्षिण भारत में पार्टी के विस्तार के अभियान को और ज्यादा तेज कर दिया है। गुरुवार को कांग्रेस के दिग्गज नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी को और शुक्रवार को किरण कुमार रेड्डी को पार्टी में शामिल करवा कर भाजपा ने एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी देने का प्रयास किया है।

केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी के मुताबिक, रेड्डी अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं इसलिए उनके आने से पार्टी को आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना में भी फायदा होगा।

हालांकि पार्टी के रणनीतिकारों का यह भी मानना है कि इसका लाभ पार्टी को कर्नाटक के विधान सभा चुनावों में भी मिलना तय है। कर्नाटक में भाजपा का मुख्य मुकाबला कांग्रेस से ही है और शुक्रवार को भाजपा में शामिल होने के बाद रेड्डी ने कांग्रेस आलाकमान पर ही तीखा निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस आलाकमान सब कुछ कंट्रोल तो करना चाहता है लेकिन मेहनत नहीं करना चाहता, जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता। कांग्रेस से अपने परिवार के संबंधों की याद दिलाते हुए रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस से उनके परिवार का रिश्ता 1952 में शुरू हुआ था और उन्होंने कभी कल्पना नहीं कि थी कि उन्हें कभी कांग्रेस छोड़ना पड़ेगा, लेकिन दुर्भाग्य से कांग्रेस आलाकमान के गलत फैसलों के कारण कांग्रेस को सभी राज्यों में नुकसान उठाना पड़ रहा है। आलाकमान न तो नेताओं की राय लेती है और न ही जनता से बात करती है इसलिए उन्हें पता ही नहीं होता कि किस राज्य में किस नेता को क्या जिम्मेदारी दी जाए। इसलिए कांग्रेस की हालत खराब होती जा रही है और सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात तो यह है कि कांग्रेस आलाकमान अभी भी अपनी गलती नहीं मान रही है, उल्टे वो वोट देने वाली देश की जनता को ही गलत ठहरा रही है। आलाकमान की इसी मानसिकता की वजह से उन्हें कांग्रेस छोड़ना पड़ा।

--आईएएनएस

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