इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप के आधार पर बर्खास्तगी को गलत ठहराया

प्रयागराज, 20 जुलाई (आईएएनएस)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादीशुदा कर्मचारी की दूसरी महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने के कारण बर्खास्तगी को गलत ठहराया है।
 
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप के आधार पर बर्खास्तगी को गलत ठहराया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप के आधार पर बर्खास्तगी को गलत ठहराया प्रयागराज, 20 जुलाई (आईएएनएस)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादीशुदा कर्मचारी की दूसरी महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने के कारण बर्खास्तगी को गलत ठहराया है।

यह आदमी शादीशुदा है और उसकी पत्नी भी जीवित है।

न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने आदेश पारित करते हुए राज्य के अधिकारियों को मामूली जुर्माना लगाते हुए एक नया आदेश पारित करने की बात कही है।

याचिकाकर्ता गोरे लाल वर्मा के खिलाफ बर्खास्तगी का आदेश केवल इस आधार पर पारित किया गया था कि लक्ष्मी देवी संग विवाहित होने के बावजूद याचिकाकर्ता ने हेमलता वर्मा नाम की एक अन्य महिला के साथ विवाहेतर संबंध बनाए रखा। तीन बच्चों के पिता गोरे लाल वर्मा और हेमलता दोनों अपने लिव इन रिलेशनशिप में पति-पत्नी के रूप में एक-दूसरे के साथ रहे।

अधिकारियों ने तर्क दिया था कि उक्त आचरण यूपी सरकार सेवक आचरण नियम, 1956 के प्रावधानों और हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ है। ऐसे में सेवा से बर्खास्त करने का आदेश पारित किया गया। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि इसी तरह के एक अनीता यादव के मामले में कोर्ट ने विचार करने के बाद बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया था।

ऐसे में उत्तरदाताओं को बताया गया कि अगर उनकी इच्छा है, तो कोई भी छोटा-मोटा दंड दे सकते हैं।

आगे यह भी तर्क दिया गया कि उक्त निर्णय को अपील करने के लिए विशेष अनुमति में चुनौती दी गई थी और सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। नतीजतन, अपील करने के लिए उक्त विशेष अनुमति को खारिज कर दिया गया था।

वकील के दिए गए तर्क को सुनने के बाद अदालत ने यह कहते हुए बर्खास्तगी के अपने आदेश को रद्द कर दिया कि तथ्य के साथ-साथ अनीता यादव के मामले में इस अदालत के फैसले को देखते हुए याचिकाकर्ता भी उसी लाभ का हकदार है।

नतीजतन, रिट याचिका की अनुमति दी गई और प्रतिवादी प्राधिकारी को याचिकाकर्ता को बहाल करने का निर्देश दिया गया। हालांकि, अदालत ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को बर्खास्तगी की तारीख से आज तक मजदूरी का भुगतान नहीं किया जाएगा।

--आईएएनएस

एएसएन/आरजेएस