कविता-भारत की अमर गाथा

उत्तराखंड के लोकप्रिय वेब पोर्टल न्यूज टुडे नेटवर्क की ओर से स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आॅनलाइन कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बाल, युवा और वरिष्ठ सभी वर्गों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतियोगिता में मेरे प्यारे वतन विषय पर देशभक्ति से ओत.प्रोत स्वरचित कविता लिखकर 20 अगस्त तक भेजनी
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कविता-भारत की अमर गाथा

उत्तराखंड के लोकप्रिय वेब पोर्टल न्यूज टुडे नेटवर्क की ओर से स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आॅनलाइन कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बाल, युवा और वरिष्ठ सभी वर्गों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतियोगिता में मेरे प्यारे वतन विषय पर देशभक्ति से ओत.प्रोत स्वरचित कविता लिखकर 20 अगस्त तक भेजनी है। इसके तहत पीएसएन सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा मौलीश्री मित्तल की शानदार कविता पढ़िए-

आओ चलो सुनाती हूं तुम्हें भारत की अमर गाथा,
कितने ही थे यहां बादशाह कितने ही थे राजा ।

सोने की चिड़िया कहलाता था,
सबका मन बहलाता था,
थे यहां वीर पुरुष भी और स्त्रियां भी,
महाभारत, रामायण जैसी महा गाथा भी ।

छीन ली आजादी अंग्रेजों ने एक दिन छल कपट से,
पर हम भारत मां के बच्चे न थे कच्चे ।

पा ली आजादी लड़ मर कर,
मेरा नमन उनको जिन्होंने दी हमें आजादी इतनी मेहनत कर ।
कुछ साल ही हुए आजादी के जो हमने इतनी सफलता पाई
गजब के काम इतने से समय में कर दिखाए