अल्मोड़ा-(दु:खद)- बेटी का सपना इंडिया के लिए गोल्ड लाना, लेकिन लाचार बाप ने मांगी इच्छा मृत्यु

Almora News- इंसान जिंदगी पल भर में उसे क्या से क्या बना देती है। यह राष्ट्रीय धाविका गरिमा जोशी ने बेहतर कोई नहीं जानता। आज भी गरिमा का इलाज दिल्ली में जारी है। परिवार की हालत ऐसी हो गई कि अब पिता ने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर इच्छा मृत्यु की मांग की है। खबर सुनकर
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अल्मोड़ा-(दु:खद)- बेटी का सपना इंडिया के लिए गोल्ड लाना, लेकिन लाचार बाप ने मांगी इच्छा मृत्यु

Almora News- इंसान जिंदगी पल भर में उसे क्या से क्या बना देती है। यह राष्ट्रीय धाविका गरिमा जोशी ने बेहतर कोई नहीं जानता। आज भी गरिमा का इलाज दिल्ली में जारी है। परिवार की हालत ऐसी हो गई कि अब पिता ने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर इच्छा मृत्यु की मांग की है। खबर सुनकर दिल में अजीब-सी सिरन उठती है। जो पिता अपनी बेटी के हाथ में तिरंगा देखना चाहता था आज वहीं पिता अपनी मौत मांग रहा है। बेटी के इलाज में सबकुछ लूट गया है। राज्य सरकार ने जो वादा किया था वह भी नहीं निभाया है। अब सरकार बिलों के भुगतान के लिए पैसा तक नहीं दे रही है।

अल्मोड़ा-(दु:खद)- बेटी का सपना इंडिया के लिए गोल्ड लाना, लेकिन लाचार बाप ने मांगी इच्छा मृत्यु

बता दें कि पिछले साल एथलीट गरिमा जोशी अभ्यास के दौरान बंगलूरू में सडक़ हादसे में घायल हो गई। जिसके बाद उसे दिल्ली में भर्ती कराया गया। गरिमा का परिवार अत्याधिक गरीब होने के चलते उस दौरान सामाजिक कार्यकर्तााओं ने पैसा एकत्र कर उनकी मदद की। साथ ही उत्तराखंड सरकार ने गरिमा के पूर्ण इलाज का खर्च उठाने का भरोसा दिलाया । लेकिन सरकार ने केवल 13.10 लाख रुपये की मदद की। अब सरकार उपचार के बिलों का भुगतान भी नहीं कर रही है। इधर घायल बेटी और पत्नी के उपचार में पूरन जोशी का सबकुछ लुट गया। कैंसर के चलते उनकी पत्नी की मौत हो गई। अब गरिमा के इलाज के लिए पैसों की कमी होने लगी। इससे पहले उन्होंने बैंकों से कर्ज लिया लेकिन वह अब भुगतान नहीं कर पा रहे है। गत दिवस छोटे भाई का निधन भी हो गया। वह लगातार कर्ज में दब गये।

अल्मोड़ा-(दु:खद)- बेटी का सपना इंडिया के लिए गोल्ड लाना, लेकिन लाचार बाप ने मांगी इच्छा मृत्यु

ऐसे मे पूरन जोशी ने एसडीएम के मार्फत राष्ट्रपति को पत्र भेजकर इच्छामृत्यु मांगी है। बेटी का अभी भी दिल्ली उपचार चल रहा है। पूरन जोशी मूलरूप से द्वाराहाट के निवासी है। उनकी बेटी गरिमा राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीत कर लायी। गरिमा का सपना था वह देश के लिए दौड़ेगी। लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था आज वह व्हीलचेयर पर है। लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी है। वह कहती है कि मैं व्हीलचेयर गेम्स से पैरा गेम्स में जाऊंगी और इंडिया के लिए मेडल जीतूंगी। लेकिन पिता रमेश जोशी ने हार मान ली है। रमेश जोशी का कहना है कि वह अब ये दर्द सहन नहीं कर सकते हैं। वह कर्ज के बोझ तले दब चुके हैं। उन्होंने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की।