हल्द्वानी-गोपुली के बाद ओ मेरी चकोरा ने मचाई धूम, फिर चला रमेश बाबू का जादू

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क- (जीवन राज)- एक बार फिर उत्तराखंड के सुपर स्टार लोकगायक रमेश बाबू गोस्वामी के नये गाने ओ मेरी चकोरा गाने से धूम मचाई है। रमेश बाबू ने इस गीत को एक नये रूप में सजाया है। यह गीत उनके पिता देवभूमि के सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी जी का है। इस
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हल्द्वानी-गोपुली के बाद ओ मेरी चकोरा ने मचाई धूम, फिर चला रमेश बाबू का जादू

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क- (जीवन राज)- एक बार फिर उत्तराखंड के सुपर स्टार लोकगायक रमेश बाबू गोस्वामी के नये गाने ओ मेरी चकोरा गाने से धूम मचाई है। रमेश बाबू ने इस गीत को एक नये रूप में सजाया है। यह गीत उनके पिता देवभूमि के सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी जी का है। इस गाने से सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी ने 1980-81 के दशक में धूम मचाई थी। सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी ने कई सुपरहिट गाने किये। इससे पहले रमेश बाबू के गोपुली गाने से उत्तराखंड से लेकर विदेशों तक खूब वाहवाही लूटी। यू-ट्यूब पर उनके गोपुली गाने को 51 लाख से ऊपर लोगों ने देखा है। अब उनके ओ मेरी चकोरा ने धम मचा रखी है। अपने पिता सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी जी के इस गाने को नया रूप से शब्दों को जोडक़र रमेश बाबू ने फिर से अपने सुरों का जादू चलाया है। केवल दो दिन में इस गाने को 12 हजार से ऊपर व्यूज मिल चुके है।

इस लिंक पर क्लिक कर आप भी सुनियें ओ मेरी चकोरा-

लिखमाव, हिसालू और मिश्ररी की याद दिलाई

उत्तराखंड के सुपरस्टार लोकगायक रमेश बाबू गोस्वामी ने इस गाने में पुराने विलुप्त होती चीजों का इस्तेमाल किया है। उनके बोल सुनते ही आपके पांव थिरकने शुरू हो जायेंगे। ओ मेरी चकोरा हौंसिया मेरी मायादारा खूब रंग जमा दिया है। उन्होंने इस गीत में मिश्ररी, कास की थाली, हिसालू, लिखमाव (बांज का बीज) और पहाड़ के चकोर पक्षी का जबरदस्त वर्णन किया है। इस गाने को सुनकर युवा ही नहीं बुजुर्ग भी झूमने को विवश हो जाते है। एक दौर था जब इस गाने ने समूचे पहाड़़ में धमाल मचाया था उस समय सुर थे सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी जी के और अब इस गाने में अपनी मखमली आवाज का जादू बिखेरा है उनके सुपुत्र रमेश बाबू गोस्वामी ने। एक बार फिर ओ मेरी चकोरा जंगल का पक्षी उड़-उडक़र धूम मचा रहा है। यह गीत उनके चैनल आरबीजी से रिलीज हुआ है।

रमेश बाबू ने सुरों से बता दिया ऐसा होता है सुपर स्टार

वही उनके गोपुली गाने ने अभी तक शादी-बारातों में अपना कब्जा कर रखा है। यह गाना डीजे से हटने का नाम नहीं ले रहा है। पहाड़ी समझने वाले ही नहीं मैदानी क्षेत्र के लोग में इस गाने का आनन्द उठा रहे है। इसके बाद उनके मां भगवती जागर को भी लोगों ने खूब पसंद किया। वही उनके यो रूमाली दिदे मायादारा ने लोगों को खूब थिरकाया। इससे पहले वह कई सुपरहिट गाने दे चुके है। जिस तरह से सुपर स्टार लोकगायक रमेश बाबू ने अपने पिता सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी जी की विरासत संभाली है वह एक सराहनीय कार्य है। उत्तराखंड की संस्कृति में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि पुत्र-पिता की विरासत को आगे ले जाय। लेकिन रमेश बाबू अपने पिता की विरासत को आगे ले गये बल्कि अपने सुरों के जादू से दुनियां को बता दिया कि एक स्टार और सुर सम्राट का बेटा सुपर स्टार ही होता है।