महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त, पढिय़े पूजा की पूरी विधि

माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन से ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। वहीं ईशान संहिता में बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दश्याम आदिदेवो महानिशि। शिवलिंग तयोद्भूतरू कोटि सूर्य समप्रभरू॥ फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महानिशीथकाल में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए थे। जबकि कई
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महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त, पढिय़े पूजा की पूरी विधि

माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन से ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। वहीं ईशान संहिता में बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दश्याम आदिदेवो महानिशि। शिवलिंग तयोद्भूतरू कोटि सूर्य समप्रभरू॥ फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महानिशीथकाल में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए थे। जबकि कई मान्यताओं में माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ है। गरुड़ पुराण, स्कन्द पुराण, पद्मपुराण और अग्निपुराण आदि में शिवरात्रि का वर्णन मिलता है। कहते हैं शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बिल्व पत्तियों से शिव जी की पूजा करता है और रात के समय जागकर भगवान के मंत्रों का जाप करता है, उसे भगवान शिव आनन्द और मोक्ष प्रदान करते हैं।

11 मार्च को महाशिवरात्रि

हिन्दू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का पर्व 11 मार्च को फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की तिथि को मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रमा मकर राशि और सूर्य कुंभ राशि में रहेंगे। महाशिवरात्रि का पर्व शिव योग में मनाया जाएगा। इस दिन अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 55 तक रहेगा।

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि त्रयोदशी तिथि 11 मार्च 2021 गुरुवार
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ 11 मार्च, दोपहर 2 बजकर 39 मिनट पर शुरू
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 12 मार्च, दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर
निशिता काल का समय- 11 मार्च, रात 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
पहला प्रहर- 11 मार्च, शाम 06 बजकर 27 मिनट से 09 बजकर 29 मिनट तक
दूसरा प्रहर- 11 मार्च, रात 9 बजकर 29 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
तीसरा प्रहर- 11 मार्च, रात 12 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 32 मिनट तक
चौथा प्रहर- 12 मार्च, सुबह 03 बजकर 32 मिनट से सुबह 06 बजकर 34 मिनट तक
शिवरात्रि व्रत पारण का समय- 12 मार्च, सुबह 06 बजकर 34 मिनट से शाम 3 बजकर 02 मिनट तक

ऐसे करें पूजा

महाशिवरात्रि पर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा आरंभ करें। शिवरात्रि के व्रत में नियमों का कठोरता से पालन करना चाहिए, तभी इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है। इसके साथ ही महाशिवरात्रि के व्रत का पारण भी विधि पूर्वक करना चाहिए। सूर्योदय और चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य समय में ही व्रत पारण करना चाहिए।

 

 

 

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