70 साल के बाद करवाचौथ पर अद्भुत योग, ऐसे बनेगा आपके लिए मंगलकारी
हर साल करवा चौथ के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलती हैं। इस बार करवा चौथ का व्रत 4 नवंबर को रखा जाएगा। करवा चौथ व्रत सुहागिनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत में सास अपनी बहू को सरगी देती है और इस सरगी को खाने के बाद ही बहू अपने व्रत की शुरुआत करती है। करवा चौथ व्रत बिना चंद्र दर्शन अधूरा माना जाता है।
रोहिणी नक्षत्र और मंगल का योग
इस बार करवाचौथ का व्रत और पूजन बहुत विशेष है। क्योंकि इस बार 70 साल बाद ऐसा योग बन रहा है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र और मंगल का योग एक साथ आ रहा है। करवाचौथ पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग होना अपने आप में एक अद्भुत योग है। ज्योतिष के अनुसार यह योग करवाचौथ को और अधिक मंगलकारी बना रहा है। इससे करवा चौथ व्रत करने वाली महिलाओं को पूजन का फल हजारों गुना अधिक मिलेगा।
चंद्रोदय का समय
इस बार करवा चौथ के दिन चंद्रोदय रात 8 बजकर 16 मिनट पर होगा, जिसमें आप चंद्रमा को अघ्र्य देकर अपना करवा चौथ का व्रत पूर्ण कर सकती हैं। पंचांग के अनुसार इस दिन चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 4 नवंबर 2020 की सुबह 4 बजकर 24 मिनट पर होगा और चतुर्थी तिथि की समाप्ति अगले दिन 5 नवंबर 2020 को सुबह 6 बजकर 14 मिनट पर होगी।
पूरे शिव परिवार एक साथ
करवा चौथ के दिन दिन भगवान शिव के पुत्र गणेश की संकष्टी चतुर्थी और शिव योग भी पड़ रहा है। साथ ही उनके दूसरे पुत्र कार्तिकेय का कार्तिक माह चल रहा है और इस पूजन में माता पार्वती की पूजा की जाती है। इसका मतलब है कि पूरे शिव परिवार का इस बार करवा चौथ पर आशीर्वाद मिलेगा। जो सभी व्रतियों के लिए बहुत शुभ है। इस नक्षत्र के साथ करवा चौथ का व्रत बहुत ही शुभ फलदायी होगा। साथ ही मृगशिरा नक्षत्र में चंद्रमा का संयोग होने से नवविवाहितों के दांपत्य जीवन में प्रेम और विश्वास को मजबूत बनाने में और घर-परिवार में सुख-शांति के लिए चंद्रमा सहायक होंगे।