अब मिट्टी में नहीं हवा में उगेंगे आलू, पैदावार भी 12 गुना ज्यादा, जानिए क्या है वह तकनीकि

मिट्टी में तो आलू उगते सभी ने देखे होंगे लेकिन हरियाणा में अब हवा में आलू उगेंगे और पैदावार भी करीब 10 से 12 गुना ज्यादा होगी। हरियाणा के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र में इस तकनीक पर काम पूरा कर लिया है। अप्रैल 2020 तक किसानों के लिए बीज बनाने का काम
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अब मिट्टी में नहीं हवा में उगेंगे आलू, पैदावार भी 12 गुना ज्यादा, जानिए क्या है वह तकनीकि

मिट्टी में तो आलू उगते सभी ने देखे होंगे लेकिन हरियाणा में अब हवा में आलू उगेंगे और पैदावार भी करीब 10 से 12 गुना ज्यादा होगी। हरियाणा के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र में इस तकनीक पर काम पूरा कर लिया है। अप्रैल 2020 तक किसानों के लिए बीज बनाने का काम शुरू हो जाएगा। इस तकनीक का नाम है एरोपोनिक। इसमें जमीन की मदद लिए बिना हवा में ही फसल उगाई जा सकती है। इसके तहत बड़े-बड़े बॉक्स में आलू के पौधों को लटका दिया जाता है। जिसमें जरूरत के हिसाब से पानी और पोषक तत्व डाले जाते हैं।

अब मिट्टी में नहीं हवा में उगेंगे आलू, पैदावार भी 12 गुना ज्यादा, जानिए क्या है वह तकनीकि

हवा में उगेंगे आलू

इस तकनीक का नाम है एरोपोनिक। इसके तहत बड़े-बड़े बॉक्स में आलू के पौधों को लटका दिया जाता है। जिसमें जरूरत के हिसाब से पानी और पोषक तत्व डाले जाते हैं। करनाल के शामगढ़ गांव में स्थित आलू प्रोद्योगिकी केंद्र के अधिकारी डॉ. सतेंद्र यादव ने बताया कि इस सेंटर का इंटरनेशनल पोटेटो सेंटर के साथ एक एमओयू हुआ है। इसके बाद भारत सरकार द्वारा एरोपोनिक तकनीक के प्रोजेक्ट को अनुमति मिल गई है। आलू का बीज उत्पादन करने के लिए आमतौर पर हम ग्रीन हाउस तकनीक का इस्तेमाल करते थे, जिसमें पैदावार काफी कम आती थी। एक पौधे से 5 छोटे आलू मिलते थे, जिन्हें किसान खेत में रोपित करता था।

अब मिट्टी में नहीं हवा में उगेंगे आलू, पैदावार भी 12 गुना ज्यादा, जानिए क्या है वह तकनीकि

एरोपोनिक तकनीक क्या है?

एरोपोनिक तकनीक में मिट्टी के लिए मिट्टी की जरूरत नहीं होती है। इसमें बड़े-बड़े प्लास्टिक और थर्माकोल के बॉक्स में आलू के माइक्रोप्लांट डाले जाते हैं। इन्हें समय-समय पर जरूरी पौषक तत्व दिए जाते हैं, जिससे जड़ों का विकास हो जाता है। धीरे-धीरे जड़ें बढऩे लगती हैं और आलू के छोटे-छोटे ट्यूबर बनने शुरू हो जाते हैं। सबसे ख़ास बात यह है कि एरोपोनिक तकनीक से पैदा हुए बीज बीमारी रहित होते हैं। इसमें एक पौधा 40 से 60 छोटे आलू देगा, जिन्हें खेत में बीज के तौर पर रोपित किया जा सकेगा। इस तकनीक से करीब 10 से 12 गुना पैदावार बढ़ जाएगी।