10 फरवरी को उत्तराखंड के सभी स्कूलों में बच्चों को खिलाई जाएगी कृमि मुक्ति दवा, जानिए, कृमि से क्या हो सकते हैं रोग

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर सरकारी, गैरसरकारी विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों में (एलमेंडाजोल) कृमि मुक्ति दवा खिलाई जाएगी। सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हिम ज्योति स्कूल देहरादून में बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाकर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य
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10 फरवरी को उत्तराखंड के सभी स्कूलों में बच्चों को खिलाई जाएगी कृमि मुक्ति दवा, जानिए, कृमि से क्या हो सकते हैं रोग

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर सरकारी, गैरसरकारी विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों में (एलमेंडाजोल) कृमि मुक्ति दवा खिलाई जाएगी। सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हिम ज्योति स्कूल देहरादून में बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाकर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पिछले वर्ष लगभग 30 लाख बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाई गई थी।

बच्चे देश का भविष्य : मुख्यमंत्री

इस साल 10 फरवरी को लगभग 43 लाख बच्चों को कृमि मुक्ति दवा खिलाई जाएगी। उनका कहना है कि स्कूलों में बहुत बड़ी भूमिका रहेगी। बच्चें देश का भविष्य हैं। देश के बच्चे स्वस्थ रहेंगे। तो देश का भविष्य उज्जवल होगा। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के माध्यम से प्रदेश भर के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में कृमि मुक्ति दवा खिलाई जाएगी।

10 फरवरी को उत्तराखंड के सभी स्कूलों में बच्चों को खिलाई जाएगी कृमि मुक्ति दवा, जानिए, कृमि से क्या हो सकते हैं रोग

1 से 19 साल तक के बच्चों को खिलाई जाएगी दवा

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन देशभर के सभी स्कूलों में आंगनवाड़ी में फरवरी माह में किया जाता है। किसके अंतर्गत सभी स्कूलों एवं आंगनवाडिय़ों में 1 से 19 साल के बच्चें को कृमि नियंत्रण की दवा खिलाई जाती है। इससे बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर, पोषण के स्तर में बढ़ोत्तरी के साथ ही स्कूल में बच्चों की उपस्थिति में बढ़ोत्तरी हो सकेगी।

कृमिरोधी दवा की क्यों है जरूरत

कृमि संक्रमण से बचाव के लिए हर साल फरवरी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत अल्बेंडाजोल की खुराक बच्चें को दी जाती है। कृमि संक्रमण से बच्चों में कुपोषण और खून की कमी होती है तथा थकावट होना, पढ़ाई में मन न लगना आदि व अधिक कृमि होने से जी मिचलाना, दस्त पेट दर्द, कमजोरी, भूख न लगना जैसे लक्षण हो सकते हैं। कृमि होने से बच्चों का शारीरिक विकास प्रभावित होता है और वे बच्चे कुपोषण के शिकार बन सकते हैं, इसलिए बच्चों को पौष्टिक भोजन करना चाहिए का विशेष ध्यान देना चाहिए।