हाथरस की घटना के विरोध में सड़क पर कैसे उतरे रुद्रपुर के सफाई कर्मचारी

रुद्रपुर । हाथरस में बलात्कार के बाद हुई हत्या के विरोध में नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने शनिवार को एक दिवसीय हड़ताल करके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग लेकर धरना दिया । शनिवार को महानगर के सफाई कर्मचारियों ने हाथरस की बेटी को न्याय दिलाने की मांग को लेकर कार्य बहिष्कार किया और
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हाथरस की घटना के विरोध में सड़क पर कैसे उतरे रुद्रपुर के सफाई कर्मचारी

रुद्रपुर । हाथरस में बलात्कार के बाद हुई हत्या के विरोध में नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने शनिवार को एक दिवसीय हड़ताल करके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग लेकर धरना दिया ।
शनिवार को महानगर के सफाई कर्मचारियों ने हाथरस की बेटी को न्याय दिलाने की मांग को लेकर कार्य बहिष्कार किया और नगर निगम गेट पर धरना दिया । उनकी मांग है कि आरोपियों को सजा ए मौत दी जाए ।
उधर, पंतनगर में छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) की ओर से हाथरस में घटी बलात्कार व हत्या की घटना पर आक्रोश जाहिर करते हुए अपराधियों को कठोर दंड देने, अपराधियों को बचाने के लिए नरमी बरतने वाले प्रशासनिक अधिकारियों को कठोर दंड देने और उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था लागू न कर पाने व यौन उत्पीड़न के अपराधियों को बचाने के कारण मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर पर नगला बाजार में कैंडिल मार्च निकाला गया।
इस दौरान पंतनगर यूनिवर्सिटी के गेट के पास हुई सभा को संबोधित करते हुए आइसा के धीरज कुमार ने कहा कि महिलाओं पर लगातार यौन उत्पीड़न की घटनाएं घट रही हैं, लेकिन योगी सरकार बलात्कारी अपराधियों को दंडित करना तो दूर उल्टा बलात्कारियों को बचाने का ही काम कर रही है। महिलाओं के प्रति अपराधों की बाढ़ इस कदर आ गई है कि अदालत को भी उत्तर प्रदेश में जंगलराज होने जैसी टिप्पणी करनी पड़ी।
महिला संगठन ऐपवा की नेता विमला रौथाण ने कहा कि हाथरस में पीड़िता व उसके परिजनों ने स्वयं बयान में कहा कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ है लेकिन अभी तक पुलिस ने दुष्कर्म का मामला दर्ज नहीं किया है। शुरू में एक ही अपराधी पर जान से मारने का मामला दर्ज किया गया। पीड़िता की 15 दिन में जान बचाई जा सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जिस तरह से पीड़िता के शव को रात में ही परिवार की बिना इजाजत के जला दिया गया उससे साफ है कि पीड़िता को न बचाने और उससे जुड़े सबूतों को नष्ट करने की प्रशासन की पूरी योजना थी।
सिडकुल संयुक्त श्रमिक मोर्चा के कोषाध्यक्ष निरंजन लाल ने कहा कि योगी सरकार आने के बाद उत्तर प्रदेश महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यकों के अत्याचार के अड्डा बन गया है। अगर कोई अपराधी भाजपा की वैचारिक राजनीति से जुड़ा हुआ है तो उसे माफ कर दिया जा रहा है। यदि पीड़ित कोई महिला, दलित, अल्पसंख्यक हो तो न्याय मिलने की उम्मीद तो दूर अपराधियो के खिलाफ पुलिस केस तक दर्ज नही कर रही है। उन्नाव, कानपुर, हाथरस जैसी सभी घटनाओं में यह साफ साफ देखने को मिलता है। कैंडल मार्च में सचिन वर्मा, सौरभ, दीपक, कमल जोशी, अस्मिता, काजल, टुम्पा चक्रवर्ती, गरिमा, गोविंद, जगदीश, राजकुमार, जितेंद्र, हिमांशु, अरुण, सुनील, मनीष, राहुल, राहुल, सूरज, चेतन जोशी, रोहित, विक्रांत, नीरज, विकास, प्रकाश, नरेश,होशियार सिंह मेहरा, प्रताप, धनु, कपिल, कमलेश, मनोज, किशन, ललित, हरीश टम्टा, राजेन्द्र सिंह, विनोद कुमार, ललित मटियाली समेत कई छात्र शामिल थे ।