रुद्रपुर: बहुचर्चित एनएच घोटाले में मुख्य आरोपी डीपी सिंह से हारा आयकर विभाग,रिपोर्ट देखकर ऐसे उड़े सबके होश

रुद्रपुर । बहुचर्चित एनएच 74 घोटाले में मुख्य आरोपी बनाये गए पीसीएस अफसर डीपी सिंह के खिलाफ शुरू हुई आयकर विभाग की जांच पूरी हो गई है, लेकिन हैरत की बात है कि आयकर विभाग को उनके पास आय से अधिक संपत्ति नहीं मिली और न ही कैश मिला । अब आयकर विभाग उनके वेतन
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रुद्रपुर: बहुचर्चित एनएच घोटाले में मुख्य आरोपी डीपी सिंह से हारा आयकर विभाग,रिपोर्ट देखकर ऐसे उड़े सबके होश

रुद्रपुर । बहुचर्चित एनएच 74 घोटाले में मुख्य आरोपी बनाये गए पीसीएस अफसर डीपी सिंह के खिलाफ शुरू हुई आयकर विभाग की जांच पूरी हो गई है, लेकिन हैरत की बात है कि आयकर विभाग को उनके पास आय से अधिक संपत्ति नहीं मिली और न ही कैश मिला । अब आयकर विभाग उनके वेतन से कटे आयकर के अंशदान को भी लौटा रहा है । हालांकि आयकर विभाग ने डीपी सिंह की जांच के लिए स्पेशल आडिट भी कराया था ।
गौरतलब है कि वर्ष 2017 में तत्कालीन मंडल आयुक्त डी सेंथिल पांडियन ने एन एच घोटाले का खुलासा किया था । शासन ने इसे गंभीरता से लिया था और जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था । उसी दौरान डीपी सिंह के यहाँ आयकर विभाग का छापा पड़ा था । उस वक्त यह चर्चा रही थी कि डीपी सिंह के पास करोड़ों की नकदी व करोड़ों की अचल संपत्ति मिली है, लेकिन आयकर विभाग की जांच में न तो करोड़ों का कैश मिला और न ही आय से अधिक संपत्ति मिली । आयकर विभाग को यूपी के सीतापुर जिले में अचल संपत्ति जरूर मिली, जो उनकी पैतृक संपत्ति है । छापे के दौरान जो सवा तीन लाख रुपये कैश मिला था उसके दस्तावेज सही पाए गए । दरअसल डीपी सिंह ने यूकेलिप्टिस की लकड़ी बेची थी, संडीला मंडी समिति ने इस बात की पुष्टि की ।
फजीहत से बचने के लिए आयकर विभाग ने जमीन के दस्तावेज उपलब्ध न कराने, मुहैया कराए गए दस्तावेजों पर मुहर व हस्ताक्षर न होने की बात कही और कृषि आय पर मामूली टैक्स लगाया, जिस पर डीपी सिंह ने सीआईटी में अपील की है । अब आयकर विभाग ने वेतन से कटे आयकर के अंशदान को भी लौटा दिया है ।
अब यह साफ हो गया है कि मुख्य आरोपी के पास आय से अधिक संपत्ति नहीं है । यहां बता दें कि एन एच घोटाले में पीसीएस अफसर डीपी सिंह समेत पांच अफसरों को जेल भेजा गया था । साथ ही आईएएस पंकज कुमार पाण्डेय व चंद्रेश यादव निलंबित किए गए थे । हालांकि एसआईटी ने आईएएस पंकज कुमार पाण्डेय पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन अनुमति नहीं मिली । वहीं आईएएस चंद्रेश यादव पर मुआवजा बढ़ाने का आरोप था, लेकिन शासन ने उनके खिलाफ चल रही विभागीय कार्रवाई को समाप्त कर दिया है ।
हालांकि डीपी सिंह समेत पांच अफसरों को बहाल करके अलग अलग स्थानों पर पोस्टिंग दी जा चुकी है । एक खास बात यह है कि एसएलएओ के पद पर रहते डीपी सिंह ने जो मुआवजा निर्धारित किया था उसे आर्बिट्रेटर ने सही ठहराया है ।
हालांकि एन एच घोटाले में मुकदमा अभी विचाराधीन है, लेकिन आयकर विभाग स्पेशल आडिट के बाद भी डीपी सिंह के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं जुटा सका। अब सवाल यह उठता है कि यदि घोटाला हुआ था तो रिश्वत की कमाई आखिर कहां गई?