रुद्रपुर: किसानों के समर्थन में मजदूरों ने निकाली बाइक रैली

रुद्रपुर। जनविरोधी कृषि कानूनों के विरोध और किसान आंदोलन के समर्थन में आज श्रमिक संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में सिडकुल ब्रिटानिया चौक से मुख्य बाज़ार होते हुए गाँधी पार्क तक बाइक रैली निकाली और किसान-मजदूर एकता का इज़हार किया गया। इसी के साथ राष्ट्रपति को संबोधित एसडीएम रुद्रपुर के माध्यम से ज्ञापन भेजा गया। इस
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रुद्रपुर: किसानों के समर्थन में मजदूरों ने निकाली बाइक रैली

रुद्रपुर। जनविरोधी कृषि कानूनों के विरोध और किसान आंदोलन के समर्थन में आज श्रमिक संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में सिडकुल ब्रिटानिया चौक से मुख्य बाज़ार होते हुए गाँधी पार्क तक बाइक रैली निकाली और किसान-मजदूर एकता का इज़हार किया गया। इसी के साथ राष्ट्रपति को संबोधित एसडीएम रुद्रपुर के माध्यम से ज्ञापन भेजा गया।

इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि मौजूदा कृषि कानून खेती को पूँजीपतियों और बहुराष्ट्रीय निगमों के हवाले करने के उद्देश्य से लाए गए हैं। जो पहले से तबाह छोटे-मझोले किसानों की तबाही की प्रक्रिया को तीव्र गति से बढ़ा देगा और भयंकर मानवीय त्रासदी को जन्म देगा।

श्रमिक संयुक्त मोर्चा और क्षेत्र के मज़दूर मोदी सरकार द्वारा लाये गये तीनों काले कृषि कानूनों का विरोध करता है, और किसान आन्दोलन के साथ अपनी एकजुटता कायम करता है। जबरदस्त नारों के बीच इस दौरान किसान विरोधी तीनों काले कानूनों को रद्द करने की माँग बुलंद हुई।

भेजे गए चार सूत्रीय ज्ञापन में माँग किया गया कि किसान विरोधी तीनों क़ानूनों को रद्द किया जाए, सभी कृषि उत्पादों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद सुनिश्चित हो, राशन की जन वितरण प्रणाली की सरकारी व्यवस्था को मजबूत किया जाए, उदारीकरण-निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियां रदद् हों।

ज्ञापन में कहा गया है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने तथाकथित संसदीय परंपराओं को नजरअंदाज कर किसान विरोधी 3 कृषि बिलों को पारित कर दिया। नए कृषि कानूनों के विरोध में 26 नवंबर से किसान तमाम पुलिसिया दमन व बाधाओं को पार कर इस कड़ाके की सर्दी में दिल्ली के बार्डरों पर खुले आसमान के नीचे बैठकर आन्दोलनरत हैं। कडाके की सर्दी से अब तक 100 से ज्यादा किसानों की शहादत इस आन्दोलन मे हो चुकी है। किसान इतनी कुर्बानियां देकर इन तीनों काले कानूनों को वापस लेने की माँग कर संघर्षरत हैं। ये तीनों कानून देशी-विदेशी कारपोरेट पूँजी को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से लाये गये हैं।

ज्ञापन में लिखा है कि केन्द्र की मोदी सरकार किसानों की जायज मांगों को मानने के स्थान पर वार्ताओं के जाल बुन रही है। आन्दोलन को तरह तरह से बदनाम करने का काम कर रही है। ये तीनों कृषि कानून कॉरपोरेट खेती को बढावा देने वाले कानून हैं। छोटे-मझोले किसानों के लिए खेती घाटे का सौदा बन चुकी है। कर्ज जाल में फंस कर किसान आत्महत्या कर रहे हैं।