मोरारी बापू की अमृतवाणी सुनने जुटे देश-विदेश से आए भक्‍त   

प्रयागराज । अरैल तट पर चल रही मोरारी बापू की मानस कथा में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। भव्य पंडाल में देश-विदेश के आए भक्तों ने बापू की अमृतवाणी सुनी। संत ने कहा कि प्रयाग की पावन धरा पर जो संत हुए थे, हुए हैं और जो संत होंगे उन सभी तीर्थ रूपी चेतनाओं को
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मोरारी बापू की अमृतवाणी सुनने जुटे देश-विदेश से आए भक्‍त   

प्रयागराज । अरैल तट पर चल रही मोरारी बापू की मानस कथा में भक्‍तों का सैलाब उमड़ पड़ा। भव्य पंडाल में देश-विदेश के आए भक्तों ने बापू की अमृतवाणी सुनी। संत ने कहा कि‍ प्रयाग की पावन धरा पर जो संत हुए थे, हुए हैं और जो संत होंगे उन सभी तीर्थ रूपी चेतनाओं को मैं व्यासपीठ से प्रणाम करता हूं।
मोरारी बापू की अमृतवाणी सुनने जुटे देश-विदेश से आए भक्‍त   
अक्षयवट के महात्म्य पर बापू ने कहा ‘बटु बिस्वास अचल निज धरमा, तीरथ राज समाज सुकरमा’ अर्थात साधु समाज में अखंड विश्वास ही अक्षयवट है। इसके विश्वास की जड़े आसमान में होती हैं। अक्षयवट की घनी छांव से विश्वास को विस्तार मिलता है। इसका तना अडिग विश्वास, शाखाएं अनुभव और छोटे-छोटे फल विश्वास की लाल रश्मि होती है। इसका बीज बिकता नहीं है, कोई खरीदता नहीं है, यानी विश्वास का मोलभाव नहीं हो सकता।
कथा सुनने आए भक्‍तों से बापू ने कहा कि मोक्ष प्राप्‍त करने के लिए लोग अक्षयवट से यमुना में कूद जाते थे। मोक्ष के लिए इतनी कीमत चुकाने की आवश्‍यकता नहीं। मोक्ष तो एक मुस्‍कुराहट से मिल जाता है।