पांच सौ सालों के बाद ऐसा योग, गुरूवार को नहीं होगा धनतेरस पूजन, शुक्रवार को मनाएं, कब रहेगी धनत्रयोदशी (धनतेरस ) जानें पूजन मुहूर्त…

आइए जानते हैं इस बार ऐसा क्यों, और क्या हो रहे परिवर्तन..क्या करें, क्या ना करें बरेली,न्यूज टुडे नेटवर्क। इस बार धनतेरस के पर्व को लेकर असमंजस बना हुुुआ हैैै । पारंपरिक रूप से धनतेरस का त्यौहार दीपावली के दो दिनों पहले मनाया जाता है। लेकिन इस बार धनतेरस का त्यौहार दीपावली के एक दिन
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पांच सौ सालों के बाद ऐसा योग, गुरूवार को नहीं होगा धनतेरस पूजन, शुक्रवार को मनाएं, कब रहेगी धनत्रयोदशी (धनतेरस ) जानें पूजन मुहूर्त…

आइए जानते हैं इस बार ऐसा क्‍यों, और क्‍या हो रहे परिवर्तन..क्‍या करें, क्‍या ना करें

बरेली,न्‍यूज टुडे नेटवर्क। इस बार धनतेरस के पर्व को लेकर असमंजस बना हुुुआ हैैै ।  पारंपरिक रूप से धनतेरस का त्‍यौहार दीपावली के दो दिनों पहले मनाया जाता है। लेकिन इस बार धनतेरस का त्‍यौहार दीपावली के एक दिन पूर्व ही मनाया जाएगा। छोटी और बड़ी दीपावली का पर्व एक ही दिन होने के कारण यह योग बना है।

पांच सौ सालों के बाद इस प्रकार का योग बना है। ज्‍योतिषियों के अनुसार यह विशेष योग है जब दीपावली से एक दिन पहले धनतेरस का त्‍यौहार पूजन किया जाएगा। पारंपरिक रूप से धनतेरस का त्‍यौहार 12 नवंबर गुरूवार को मनाया जाना था लेकिन पंचांग परिवर्तन के चलते इस बार धनतेरस का त्‍यौहार शुक्रवार 13 नवंबर को मनाया जाएगा।

इस वर्ष धनत्रयोदशी (धनतेरस) को लेकर के भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।12 नवंबर दिन गुरुवार को त्रयोदशी रात्रि 9:31 से प्रारंभ होगी जो कि 13 नवंबर शुक्रवार को सायं 6:00 बजे तक रहने वाली है। ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार उल्लेखनीय है कि धनत्रयोदशी के पूजन आदि का मुख्य काल प्रदोष काल कहलाता है। जो कि प्रतिदिन बदलता रहता है रात्रिमान के पांच भाग करने से पहला भाग प्रदोष के नाम से जाना जाता है।
गुरुवार को प्रदोष काल सायं 7:48 तक रहेगा और त्रयोदशी रात्रि में 9:31 से प्रारंभ होगी अतः प्रदोष काल स्पर्श नहीं हो रहा है वहीं दूसरी ओर शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि सूर्योदय से प्रारंभ होकर सायं काल 6:00 बजे तक रहने वाली है। जबकि सूर्यास्त का समय सर्व सम्मत 5:16  पर रहेगा। इस अवधि में प्रदोष काल त्रयोदशी युक्त बन रहा है जो कि 49 मिनट का रहने वाला है यहां उल्लेख करना ठीक रहेगा। यह एक मुहूर्त दो घड़ी या 48 मिनट का होता है इस गणना के अनुसार शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल में शुद्ध रूप से व्याप्त है अतः धनतेरस का पर्व शुक्रवार को मनाना ही धर्म शास्त्रीय मान्यता प्राप्त रहेगा।

धनतेरस के दिन ये चीजें भूलकर भी न खरीदें

धनतेरस के दिन शीशे का बर्तन भूलकर भी नहीं खरीदना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन शीशे के बर्तन खरीदने पर काफी नुकसान होता है. धनतेरस के दिन सोने चांदी की कोई चीज या नए बर्तन खरीदने पर अत्यंत शुभ माना जाता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

धनतेरस के दिन ये गलतियां भूलकर भी न करें

अगर आप धनतेरस पर सिर्फ कुबेर की पूजा करने वाले हैं तो ये गलती ना करें, क्योंकि ऐसा करने पर आप पूरे साल परेशान रह सकते है. धनतेरस के दिन कुबेर के साथ माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की भी उपासना जरूर करें वरना पूरे साल बीमार रहेंगे।

27 मिनट तक है शुभ मुहूर्त

इस साल धनरेसत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगा. इस बार महज 27 मिनट के इस शुभ मुहूर्त में पूजा करना फलदायी माना जाएगा. इसी वक्त अगर कोई दीपदान करता है तो भी शुभ होगा. जानकारी के लिए बता दें कि 13 नवंबर को धनतेरस पर खरीदारी के लिए पहला मुहूर्त सुबह 7 से 10 बजे तक है. जबकि दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 1 से 2.30 बजे तक रहेगा।