नैनीताल- आदिवासियों की तरह है यहां का कुकना गांव, दुश्वारियों को सुन नम हो जाएगी आँखें

उत्तराखंड में नैनीताल के दुर्गम गांव से बीमार महिला को घने जंगल, नदी और उबड़ खाबड़ रास्तों से डोली में ले जाने की तस्वीरों ने खुद ब खुद पहाड़ का दर्द बयां कर दिया है । यहां की जिंदगी आदिवासियों की तरह है जहाँ सड़क तक सरकार नहीं पहुचा पाई है।विश्व विख्यात नैनीताल से महज
 | 
नैनीताल- आदिवासियों की तरह है यहां का कुकना गांव, दुश्वारियों को सुन नम हो जाएगी आँखें


उत्तराखंड में नैनीताल के दुर्गम गांव से बीमार महिला को घने जंगल, नदी और उबड़ खाबड़ रास्तों से डोली में ले जाने की तस्वीरों ने खुद ब खुद पहाड़ का दर्द बयां कर दिया है । यहां की जिंदगी आदिवासियों की तरह है जहाँ सड़क तक सरकार नहीं पहुचा पाई है।
विश्व विख्यात नैनीताल से महज कुछ किलोमीटरों की दूरी पर ओखलकांडा के कुकना गांव की उमा देवी की तबियत खराब हो गई । महिला को शहर के अस्पताल में दिखाने के लिए जंगल की पखडण्डी और नदी से गुजरकर जाना था । बीमार महिला का स्वास्थ्य ज्यादा खराब होने के कारण वो चलने में असमर्थ थी । अब गांव के बड़े बूढ़ों ने तय किया कि युवाओं की टोली बीमार महिला को डोली में उठाकर15 किलोमीटर दूर रीठा साहेब के प्राथमिक उपचार केंद्र लेकर जाएगी । इस बीच मार्ग में जंगली जानवरों का खौफ होने के कारण युवाओं को हर हालत से निबटने के लिए तैयार किया गया । लगभग 16 युवा निकल पड़े गांव की पखडण्डी से होते हुए, नदियों और जंगल क्षेत्रों को पार कर अस्पताल पहुंचाने के लिए । कई घंटों की पैदल यात्रा तय करने के बाद ग्रामीण महिला को लेकर अस्पताल पहुंचे जहां महिला का इलाज चल रहा है । हालातों और व्यवस्थाओं से नाराज ग्रामीणों ने इस घटना की तस्वीरें और वीडियो मीडिया को देकर सरकार तक संदेश पहुचाने की गुहार लगाई है ।