देहरादून-सीएम का विरोध करने वाले विधायकों को आलाकमान से पड़ी डाँट ! उफ यह क्या हुआ

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की सख्त और ईमानदार छवि को धूमिल करने के एक बार प्रयास फिर शुरू हो गये हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जब से राज्य में जीरो टाॅलरेंस का नारा बुलंद किया भ्रष्ट तंत्र पर नकेल कसनी शुरू की तब से सरकार को लेकर ऐसी अफवाहें उडनी शुरू हो
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देहरादून-सीएम का विरोध करने वाले विधायकों को आलाकमान से पड़ी डाँट ! उफ यह क्या हुआ

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की सख्त और ईमानदार छवि को धूमिल करने के एक बार प्रयास फिर शुरू हो गये हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जब से राज्य में जीरो टाॅलरेंस का नारा बुलंद किया भ्रष्ट तंत्र पर नकेल कसनी शुरू की तब से सरकार को लेकर ऐसी अफवाहें उडनी शुरू हो गई। यह पहला मौका नहीं है जब इस तरह की बातें सामने आई हों। मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद से ही लगातार अफवाहें उडती रही हैं। पिछले साढ़े तीन साल में राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अफवाहें कई बार उड़ी। खुद मुंख्यमंत्री और आलाकमान ने सामने आकर ऐसी अफवाहों का खंडन किया। सीएम के खिलाफत करने वाले कई बार इस तरह की भविष्यवाणी कर चुके हैं। लेकिन हर बार मामला फुस्स ही निकला है।

एक बार फिर विधायकों की नौकरशाही से नाराजगी को मुख्यमंत्री से नाराजगी के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि नाराज़ विधायकों का नेतृत्व डीडीहाट के विधायक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल कर रहे हैं। वहीं आज सोशल मीडिया में चुफाल की राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात की भी फ़ोटो वायरल हो रही है। वहीं भाजपा सूत्रों का कहना है कि आलाकमान कोरोना संकट में चुफाल द्वारा विधायको को जमाकर अपनी ही सरकार ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने से नाराज़ है। चुफाल को आलाकमान से फटकार भी पड़ी है। आलाकमान द्वारा साफ कर दिया गया है कि वह क्षेत्र में जाकर काम करें। सरकार के खिलाफ असन्तोष न फैलाएं।

नाम न छापने की सत्र पर एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि चुफाल 70 पार हो गए हैं। विधानसभा में सक्रियता भी कम है। इसलिए उन्हें लग रहा है कि अगली बार कहीं टिकट न कट जाए। इसलिए मन्त्री बनने की चाहत में वह ऐसा कर रहे हैं।

वहीं विधायकों ने नौकरशाही को लेकर तो मीडिया में अपनी नाराजगी जाहिर की है लेकिन सराकर या मुख्यमंत्री को लेकर किसी विधायक ने इस तरह की बातें नहीं की।

सियासी रोटिंया सेक रही कांग्रेस


वहीं सत्ता पक्ष के विधायकों की नाराजगी से कांग्रेस को भी सियासी रोटी सेकने का मौका मिल गया। वहीं मीडिया में जारी बयान में नेता नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने कहा कि सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। निरंकुश नौकरशाही को सरकार का कोई डर नहीं है। भाजपा के सत्ता में आने के बाद से प्रदेश में नए व पुराने सभी विकास कार्य बंद पड़े हैं। यही वजह है कि सत्तारूढ़ दल के विधायकों ने केंद्रीय नेतृत्व से हस्तक्षेप कर उत्तराखंड में नेतृत्व बदलने की मांग की है। वहीं, इंदिरा ने कहा कि भारी बहुमत के बावजूद सरकार ढंग से नहीं चल पा रही। जिस वजह से साढ़े तीन साल में मंत्रियों के तीन पद भी खाली पड़े हैं।

बोले सुबोध उनियाल रावत सरकार पूरे 5 साल
वहीं इन अफवाहों का भाजपा संगठन और सरकार ने खंडन किया। राज्य के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि 57 विधायकों की सरकार को कौन अस्थिर कर सकता है। सरकार में कहीं कोई अस्थिरता नहीं है। झूठी और बेवुनियाद बातें हैं। जो भी खबरें हम मीडिया में सुन रहे हैं मुझे नहीं लगता कि उनमें दूर-दूर तक कोई सच्चाई है। सरकार पूरी मजबूती से त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी के नेतृत्व में काम कर रही है और पूरे पांच साल प्रदेश के विकास के लिये कार्य करती रहेगी। भाजपा पूरी तरह अनुशासित पार्टी है और हमारे यहां सभी निर्णय हाईकमान से लिये जाते हैं।