जानें देवशयनी एकादशी का महत्व, 148 दिन तक नहीं होंगे काई मांगलिक कार्य
बुधवार को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) बीतने के बाद अब 148 दिन तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस अवधि में विवाह यज्ञोपवीत और चौरकर्म और सात्विक देव प्रतिष्ठा आदि करना शास्त्रों के अनुसार वर्जित है। यह मान्यता है कि एकादशी के बाद चार माह तक कोई मांगलिक कार्य नहीं होते हैं।
ज्यातिषाचार्य सुमित कुमार मिश्रा ने बताया कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष (Shukla Paksha) की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। इस दिन से भगवान श्रीविष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं। इसी दिन से चतुर्मास की शुरुआत भी मानी जाती है। मान्यता है कि एकादशी के बाद चार माह तक मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। इस बार चातुर्मास में अश्विन माह अधिकमास के रूप में आ रहा है। इसके कारण चातुर्मास (Chaturmas) की समय अवधि एक माह अधिक होगी।
इस बार एक जुलाई से 25 नवंबर तक शुभ मुहूर्त (auspicious time) नहीं रहेगा। मान्यताओं के अनुसार जब भगवान विष्णु चार महीनों के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। तब पृथ्वी पर सबसे ज्यादा नकारात्मक शक्तियां (Negative powers) हावी हो जाती हैं, इसलिए इन दिनों में धार्मिक कार्य, हवन, पूजा और जाप किए जाते हैं।