कौन कितने साल का, अब आसानी से बता देंगे वैज्ञानिक

लखनऊ: अब इंसान हो या किसी जानवर की हड्डी, दांत, अनाज, जले कपड़े का काई भी जीवाश्म। अब हमारे देश में ही हर चीज की सही उम्र का पता चल सकेगा। लखनऊ के बीरवल साहनी पुरा विज्ञान संस्थान(Birbal Sahni Institute of Palaeosciences) ने रेडियो कार्बन डेटिंग तकनीक (Radio Carbon Dating Technology) को सफलतापूर्वक विकसित किया
 | 
कौन कितने साल का, अब आसानी से बता देंगे वैज्ञानिक

लखनऊ: अब इंसान हो या किसी जानवर की हड्डी, दांत, अनाज, जले कपड़े का काई भी जीवाश्‍म। अब हमारे देश में ही हर चीज की सही उम्र का पता चल सकेगा। लखनऊ के बीरवल साहनी पुरा विज्ञान संस्‍थान(Birbal Sahni Institute of Palaeosciences) ने रेडियो कार्बन डेटिंग तकनीक (Radio Carbon Dating Technology) को सफलतापूर्वक विकसित किया है।
कौन कितने साल का, अब आसानी से बता देंगे वैज्ञानिक
इस नई तकनीक के आने से भौगोलिक व जलवायु परिवर्तन की प्रक्रियाओं को समझने, पुराऐतिहासिक युग के इतिहास को पढ़ने में आसानी होगी। इससे पुलिस को भी पुरानी अपराधिक घटनाओं का पर्दाफास करने में मदद मिलेगी।

लैब प्रभारी डॉ. राजेश अग्‍निहोत्री बताते हैं कि भारत में अभी तक कार्बन (C-14) डेटिंग का पारंपरिक तरीका प्रयोग होता था। इससे किसी जीवाश्‍म की उम्र का पता लगाने में काफी समय लग जाता था और जीवाश्‍म शूक्ष्‍म मात्रा में होने पर आयु का निर्धारण भी नहीं हो पाता था। लेकिन अब भारत ने डेटिंग की नई तकनीक से बहुत कम समय में मात्र एक मिलीग्राम से उम्र पता लगाने में महारथ हासिल कर ली है। बीरवल साहनी पुरा विज्ञान संस्‍थान के इस डेटिंग तकनीक का प्रकाशन इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायरमेंटल रेडियोएक्‍टिविटी (International Journal of Environmental Radioactivity) में भी हो चुका है।