ऊधमसिंह नगर: ऐसे फंसी अफसर की धोखेबाज पत्नी

काशीपुर । विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर बेंगलुरु आर्मी कैम्प निवासी सेना के अफसर की पत्नी ने काशीपुर निवासी एक व्यक्ति व उसके रिश्तेदार से 11लाख 40 हजार रुपये ठग लिये। न्यायालय के आदेश पर आरोपी महिला के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है। कुंडेश्वरी थाना क्षेत्र के ग्राम महतावन निवासी
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ऊधमसिंह नगर: ऐसे फंसी अफसर की धोखेबाज पत्नी

काशीपुर । विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर बेंगलुरु आर्मी कैम्प निवासी सेना के अफसर की पत्नी ने काशीपुर निवासी एक व्यक्ति व उसके रिश्तेदार से 11लाख 40 हजार रुपये ठग लिये। न्यायालय के आदेश पर आरोपी महिला के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है।

कुंडेश्वरी थाना क्षेत्र के ग्राम महतावन निवासी शेखर चम्बेल ने दर्ज करवाई रिपोर्ट में कहा कि जुलाई 2019 में जब वह नौकरी की तलाश में था तब उसके एक रिश्तेदार के माध्यम से उसका सम्पर्क बेंगलुरु के आर्मी कैम्प निवासी मेजर ललित मोहन पलारिया की पत्नी रजनी शर्मा उर्फ रजनी पलारिया से हुआ। रजनी ने उसे बताया कि वह विदेश में नौकरी दिलवा सकती है। शेखर को नौकरी की तलाश थी इसलिए उसने विदेश में नौकरी लगवाने को रजनी से कहा। शेखर के मुताबिक रजनी ने इसमें 10 लाख रुपये का खर्चा आने की बात कही।

शेखर ने रजनी के दिल्ली स्थित आईसीआईसीआई बैंक के खाते में 2.40 लाख रुपये जमा करा दिये। आरोप है कि तीन लाख रुपये रजनी पलारिया ने उसके काशीपुर स्थित निवास पर आकर नकद प्राप्त किए। शेखर के एक अन्य रिश्तेदार परमजीत सिंह निवासी ऊना (हिमाचल) ने भी रजनी को चार लाख रुपये विदेश में नौकरी के लिए दिये थे। बाद में रजनी ने दोनों को फिजी भेजने के लिए तीन लाख रुपये और लिये तथा दोनों को सिंगापुर एयरलाइंस के विमान से फिजी भेज दिया।

फिजी में उन्हें रजनी का एजेंट सान सिंह मिला। सान सिंह ने उन्हें बताया कि एक माह के भीतर उन दोनों की नौकरी लग जायेगी, लेकिन एक माह बीत जाने के बावजूद जब नौकरी नहीं लगी तो उन्होंने सान सिंह से बात की तब उन्हें बताया गया कि उन दोनों को टूरिस्ट वीजा पर रजनी ने यहाँ भेजा है नौकरी के लिये नहीं। यह जानकर दोनों अवाक रह गये। 31 दिसंबर 2019 को दोनों वापस भारत आ गये। यहाँ आकर रजनी से बात करने की कोशिश की, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। काशीपुर कोतवाली में जब सात सितंबर को उसने अपने साथ हुई धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज करानी चाही तो रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई, जिस पर उन्होंने न्यायालय की शरण ली। कोर्ट के आदेश पर उसकी रिपोर्ट दर्ज हो सकी।