इस दीवाली लोकल फार वोकल- जानिए कैसे गोबर से लक्ष्मी गणेश की प्रतिमाएं बनाकर महिलाएं सीखकर रही हैं आत्म निर्भरता का मंत्र, देखें यह खबर….

लखनऊ। हिंदू रीति-रिवाज में गाय के गोबर की पूजा होती है। महत्व उस समय और बढ़ जाता है, जब दीपावली में गणेश-लक्ष्मी और गोवर्धन की पूजा होती है। गोंडा के वजीरगंज की महिलाएं गाय के गोबर से गणेश-लक्ष्मी ही नहीं बल्कि सुंदर दीये भी बना रही हैं। इनकी मांग अब वजीरगंज के दर्जनों गांवों तक
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इस दीवाली लोकल फार वोकल- जानिए कैसे गोबर से लक्ष्मी गणेश की प्रतिमाएं बनाकर महिलाएं सीखकर रही हैं आत्म निर्भरता का मंत्र, देखें यह खबर….

लखनऊ। हिंदू रीति-रिवाज में गाय के गोबर की पूजा होती है। महत्व उस समय और बढ़ जाता है, जब दीपावली में गणेश-लक्ष्मी और गोवर्धन की पूजा होती है। गोंडा के वजीरगंज की महिलाएं गाय के गोबर से गणेश-लक्ष्मी ही नहीं बल्कि सुंदर दीये भी बना रही हैं। इनकी मांग अब वजीरगंज के दर्जनों गांवों  तक पहुंच गई है। बहरहाल यहां आधा दर्जन की तादात में महिलाएं मूर्तियां और दीये बनाने में जुटी हैं।

वजीरगंज विकास खंड की ग्राम पंचायत भगोहर गांव की महिलाएं एक सप्ताह से गाय के गोबर से दीपक, लक्ष्मी-गणेश, शुभ-लाभ, गोवर्धन पूजा की थाली आदि बना रही हैं। यहां की शांती,प्रमिला, अनीता व आशा सहित आधा दर्जन महिलाएं गोबर से सामग्री बना रही हैं।

ऐसे बनते हैं मूर्ति और दीया

गाय के गोबर में कपूर मिलाकर मूर्ति, दीया, सांचे में गोबर डालकर धूप में सूखा दिया जाता है। सूखने के बाद उसे एल्यूमीनियम पेंट से कलर कर रंग चढ़ाया जाता है। ताकि जलाते वक्त दीपक न जले। एल्यूमिनियम पेंट से गोबर सुरक्षित हो जाता है और दीपक जलने के बाद कपूर की खुशबू महकने लगती है, जिससे वातावरण शुद्ध होता है।

60 फीसद होता है मुनाफा

भगोहर की शांति देवी बताती हैं कि छह इंच की मूर्ति 75 से 80 रुपये में बिकती है। नौ इंच की मूर्ति व थाली दो से ढाई सौ रुपए की और दीया 1 रुपये से 5 रुपये बिकता है। इसमें लगभग 40 फीसद ही लागत आती है। प्रतिदिन  सौ से डेढ़ सौ मूर्ति और दिये बनाये जा रहे हैं।

इन दीयों से नहीं होता  प्रदूषण

मिट्टी के दीये और मूर्तियां पक जाने पर ठोस हो जाते हैं। इन्हें मिट्टी में मिलने में समय लगता है, लेकिन गोबर से बनी सामग्री पूरी तरह से इको फ्रेंडली है, जिससे प्रदूषण नहीं फैलता है। मिट्टी में तत्काल मिल जाने से खाद का भी काम करता है।

एक हजार दीपों और मूर्तियों का आर्डर

गोबर के दिए और गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति बनाने का काम शुरू होते ही महिलाओं को एक हजार दीपों और मूर्तियों का आर्डर मिल गया। प्रमिला कहती हैं कि सनातन धर्म में गाय की पूजा की जाती है। उसका गोबर धार्मिक कार्यो में प्रयोग किया जाता है। गोबर के दीपों से प्रकृति को भी नुकसान नहीं होगा और धार्मिक आस्था भी मजबूत होगी।