अभिभावक ट्यूशन फीस देने में न करें आनाकानी : ललित

रूद्रपुर। भाजपा नेता ललित मिगलानी ने स्कूल फीस को लेकर चल रहे गतिरोध का मिल बैठकर सर्वमान्य हल निकालने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को ट्यूशन फीस देने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए । एक बयान में मिगलानी ने कहा कि शिक्षा सिर्फ एक व्यवसाय नहीं बल्कि यह समाज और देश का
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अभिभावक ट्यूशन फीस देने में न करें आनाकानी : ललित

रूद्रपुर। भाजपा नेता ललित मिगलानी ने स्कूल फीस को लेकर चल रहे गतिरोध का मिल बैठकर सर्वमान्य हल निकालने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को ट्यूशन फीस देने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए ।
एक बयान में मिगलानी ने कहा कि शिक्षा सिर्फ एक व्यवसाय नहीं बल्कि यह समाज और देश का भविष्य भी तय करती है। कोरोना संकट के इस दौर में जहां हर चीज प्रभावित हुयी है वही इसने शिक्षा के क्षेत्र को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। कोरोना संकट के चलते पैदा हुई विषम परिस्थितियों के चलते कई छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटका नजर आ रहा है। पिछले पांच माह से स्कूल में ताले लटके हुए हैं और शिक्षा व्यवस्था को आॅनलाइन माध्यम से पटरी पर लाने का स्कूल प्रबंधकों ने जो प्रयास किया है वह सराहनीय है, लेकिन संकट के इस दौर में फीस लेने और देने को लेकर जो माहौल पैदा हुआ है वह एक सभ्य समाज के लिए उचित नहीं है। स्कूलों की फीस के सहारे फर्श से अर्श पर पहुंच चुके तमाम स्कूल संचालकों को ऐसे कठिन समय में इंसानियत की मिसाल पेश करने का प्रयास करना चाहिए था । लेकिन विडम्बना है कि क्षेत्र में बड़े से बड़े किसी स्कूल ने लाॅकडाउन में मानवता का बड़ा उदाहरण पेश नहीं किया। शिक्षा व्यवस्था को सुचारू करने के लिए स्कूलों ने आॅनलाइन शिक्षा का विकल्प तो ढूंढा लेकिन इस विकल्प के सहारे स्कूल प्रबंधकों ने अपने नुकसान की भरपाई को अधिक तवज्जो देना शुरू कर दिया।
होना यह चाहिए था कि संकट के इस दौर में स्कूलों को अपने मुनाफे के बजाय ज्यादा प्राथमिकता अपने शिक्षकों और स्टाफ की सेलरी व खर्चो की भरपाई के लिए एक वाजिब शुल्क अभिभावकों से लेना चाहिए लेकिन कई स्कूलों ने इसकी आड़ में अभिभावकों से मनमाने शुल्क की वसूली शुरू कर दी। कोरोना वायरस की समस्या से एक तो अभिभावक पहले से ही काफी परेशानियां झेल रहा है और ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर स्कूल प्रबंधन ने आर्थिक बोझ डालना शुरू कर दिया। कई निजी स्कूलों फीस के लिए अभिभावकों पर दबाव बनाने लगे। कई निजी स्कूलों ने तो फीस जमा नहीं करने पर बच्चों की आइडी ब्लॉक कर उन्हें आनलाइन कक्षा से भी बाहर करना शुरू कर दिया। कई स्कूल तो शिक्षण शुल्क के साथ-साथ बिजली खर्च, स्पोर्ट्सो, बिल्डिंग खर्च,कंप्यूटर और स्मार्ट क्लास की भी फीस अभिभावकों से मांग रहे हैं। स्कूलों की इसी मनमानी के चलते पिछल कुछ दिनों से जिले भर में नो स्कूल नो फीस मुहिम चल रही है। एक सभी अभिभावक एकजुट होकर एक मंच के नीचे आकर अपनी बात को सही ढंग से रखें तो निश्चित ही समस्या का हल निकल सकता है। दूसरी तरफ स्कूल संचालक भी गैरजिम्मेदारी को छोड़ने का भी प्रयास करना चाहिए !। बुद्धिजीवी वर्ग के स्कूल संचालकों को इस कठिन वक्त में समझदारी दिखानी चाहिए । कायदे से स्कूल प्रबंधकों को लाॅकडाउन खुलने के बाद ही अभिभावकों के साथ मीटिंग करके फीस के मुद्दे का सर्वमान्य हल निकालना चाहिए था। जब स्कूल प्रबंधन और अभिभावक आमने सामने बैठकर अपनी बात रखते तो समस्या का आसान हल निकल सकता था।

श्री मिगलानी ने कहा कि अभिभावकों को ट्यूशन फीस देने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए क्यों कि स्कूलों में काम करने वाले शिक्षक ओर स्टाफ की रोजी रोटी का भी सवाल है। दूसरी तरफ प्रबंधकों को आॅनलाइन शिक्षा की आड़ में अपने दूसरे खर्चों की भरपाई का प्रयास नहीं करना चाहिए। अगर दोनों ही पक्ष ईमानदारी से अपना अपना फर्ज निभायें तो समस्या एक ही दिन में हल हो सकती है। लेकिन चर्चा यह भी है कि कुछ स्कूल मठाधीश इस समस्या का हल नहीं होने दे रहे। कई स्कूल चाहते भी हैं कि वह अभिभावकों को हरसंभव राहत दें लेकिन मठाधीशों की मनमानी के आगे वह भी मौन हैं। ये स्कूल मठाधीश चाहते हैं कि टृयूशन फीश के नाम पर जो शुल्क लिया जा रहा है उसमें इसके अलावा उनके बैंको की क़िस्त के साथ साथ अन्य पूर्वत खर्चे भी पूरे हों। इसी के चलते कई स्कूलों में आॅनलाइन शुल्क जो लिया जा रहा है वह लगभग लाॅकडाउन के पहले जो फीस ली जा रही थी उसी के बराबर है। इस मामले में जिलाधिकारी रंजना राजगुरू ने जांच समिति बनाकर सराहनीय प्रयास किया है। यह जांच समिति अगर दोनों पक्षों की बात सुनकर कोई हल निकाले तो स्कूल प्रबंधन और अभिभावक दोनों के लिए बेहतर होगा।