अजब-गजब: यूपी के वित्तमंत्री के जिले में बंदर भगाने के लिए इंसान बने भालू

बंदरों को भगाने के लिए इंसान बन गए भालू- यूपी के वित्तमंत्री सुरेश खन्ना के जिले में बंदरों को भगाने के लिए इंसानों को भालू बनना पड़ रहा है।लंबे समय से बंदरों के आतंक से जूझ रहे लोगोंको शासन और प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली तो उन्हें यह अनूठा तरीका सूझा। गांव के दो
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अजब-गजब: यूपी के वित्तमंत्री के जिले में बंदर भगाने के लिए इंसान बने भालू

अजब-गजब: यूपी के वित्तमंत्री के जिले में बंदर भगाने के लिए इंसान बने भालू

बंदरों को भगाने के लिए इंसान बन गए भालू- यूपी के वित्‍तमंत्री सुरेश खन्‍ना के जिले में बंदरों को भगाने के लिए इंसानों को भालू बनना पड़ रहा है।लंबे समय से बंदरों के आतंक से जूझ रहे लोगोंको शासन और प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली तो उन्‍हें यह अनूठा तरीका सूझा। गांव के दो लोग भालु की ड्रेस पहनकर दो से तीन घंटे गांव में घूमते हैं। उन्‍हें देखकर बंदर भाग खड़े होते हैं।

मामला शाहजहांपुर जिले के जलालाबादक्षेत्र के सिकंदरपुर अफगान गांव का है। इस गांव में लंबे समय से बंदरों का आतंक है। गांव की आबादी 5000 है और यहाँ पर उत्पाती बंदरों की संख्या 10 हजार से ज्यादा। ग्रामीणों ने बंदरों से छुटकारा दिलाने के लिए वन विभाग से मांग की थी लेकिन वन विभाग ने बंदरों के पकड़ने के लिए प्रति बंदर 300 रूपये प्रति बंदर शुल्क की मांग की। फीस ज्यादा होने की वजह से ग्रामीणों ने हाथ खड़े कर दिए। लेकिन गांव वालों ने हिम्मत नहीं हारी और गाँव से बंदरों को भगाने के लिए एक नायाब तरीका खोज निकाला। गांव के लोगों ने चंदा करके भालू की खाल के जैसी ड्रेस मंगवाई और भालू का मुखौटा भी मंगवाया। इसके बाद गांव के ही दो युवकों को भालू की ड्रेस वाले कपड़े पहनाकर जैसे ही गांव में निकाला, वैसे ही बंदरों में भगदड़ मच गई। अपने बीच में भालू को देख कर बंदर गांव छोड़कर भाग रहे हैं।

इंसानी भालू देखकर बंदरों में मच जाती है भगदड़

भालू का रूप धारण कर दोनों युवक रोजाना 2 से 3 घंटे गांव में घूमकर बंदरों को भगाते हैं। इनकी शक्ल देखकर बंदर कभी पेड़ से कूद जाते हैं, तो कभी मकान की छत से कूद कर भाग जा रहे हैं. भालू बने सलीम कहते हैं कि बंदर उन्हें देखकर भाग रहे हैं। भालू की शक्ल देख कर बंदर तो गांव छोड़ कर धीरे-धीरे भाग रहे हैं, लेकिन इन भालू की खाल पहने युवकों के लिए मुसीबत भी बढ़ गई है क्योंकि इन्हें देख कर गांव के कुत्ते इन पर भौंक रहे हैं और काटने की कोशिश करते हैं। पूर्व प्रधान अशोक कहते हैं कि भालू की शक्ल वाले इन लोगों को देखकर बंदरों की संख्या कुछ कमी आई है। दरअसल, गांव बड़ा है जिसके चलते बंदर दूसरे किनारों को भाग जाते हैं या फिर गांव के बाहर छुप जाते हैं। बंदर इतने उत्पाती हैं कि लोगों को हर वक्त डंडा अपने साथ रखना पड़ता है। बंदर कभी उनके कपड़े फाड़ देते हैं तो कभी उनका खाना छीन कर भाग जाते हैं। नगर निगम के साथ वन विभाग के अफसरों ने भी भालू पकड़ने से हाथ खड़े कर दिए हैं।