कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भाजपा नेता के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट वापस लिया


इसका प्रभावी अर्थ यह है कि गांगुली को अब वारंट के आधार पर गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। भाजपा नेता ने अपने वकील फिरोज एडुल्जी के माध्यम से उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई प्रकृति में प्रतिशोधी थी।
जादवपुर विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वाले गांगुली अब डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक हैं, जो दिल्ली से बाहर स्थित बीजेपी थिंक-टैंक है। गांगुली ने कई पुस्तकों का लेखन और संपादन भी किया है।

उन्होंने 2021 का विधानसभा चुनाव बोलपुर से लड़ा था, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के चंद्रनाथ सिन्हा से 22,280 मतों के अंतर से हार गए थे।
21 अप्रैल, 2021 को तृणमूल कार्यकर्ता सुदीप बागड़ी ने बोलपुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि शांतनु होमरॉय के नेतृत्व में सात भाजपा कार्यकर्ताओं के एक समूह ने उन पर और उनकी पार्टी के कुछ सहयोगियों पर हमला किया, जब वे एक चुनाव प्रचार कार्यक्रम से लौट रहे थे।
पुलिस ने अपने चार्जशीट में दावा किया है कि गांगुली ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को उकसाया था।
मामले के आठ अन्य आरोपियों को इस मामले में जमानत दे दी गई, जबकि अदालत ने गांगुली के खिलाफ वारंट जारी किया। पुलिस ने कोई कारण नहीं बताया कि उन्हें इस मामले में गांगुली को हिरासत में लेने की आवश्यकता क्यों है।
गांगुली के वकील ने अदालत में कहा कि पुलिस ने उन्हें मामले की जानकारी देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। गांगुली को जाहिर तौर पर इस बात की जानकारी नहीं थी कि वह इस मामले में या गिरफ्तारी के वारंट के आरोपी हैं।
--आईएएनएस
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