रुद्रपुर: इस तरह मुकदमें फंसे डाॅक्टर दीपक छाबड़ा, मेडिसिटी अस्पताल पर मुकदमे के आदेश

रुद्रपुर। सिविल जज जूनियर डिवीजन ने अजय रस्तोगी के प्रार्थनापत्र को स्वीकार करते हुए पुलिस को आदेश दिया है कि मेडिसिटी अस्पताल के डायरेक्टर व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके मामले की विवेचना की जाए। मामला 2019 का है, जिसमें उपचार के दौरान लापरवाही का खामियाजा महिला अभी तक भुगत रही है। ओमैक्स निवासी
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रुद्रपुर। सिविल जज जूनियर डिवीजन ने अजय रस्तोगी के प्रार्थनापत्र को स्वीकार करते हुए पुलिस को आदेश दिया है कि मेडिसिटी अस्पताल के डायरेक्टर व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके मामले की विवेचना की जाए। मामला 2019 का है, जिसमें उपचार के दौरान लापरवाही का खामियाजा महिला अभी तक भुगत रही है।

ओमैक्स निवासी अजय रस्तोगी ने कहा कि उसकी पत्नी अंजलि के चेहरे व हाथ में कांच लग गया, जिसके उपचार में घोर लापरवाही बरती गई। न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर रस्तोगी ने बताया कि उसकी पत्नी अंजली रस्तोगी के चेहरे व हाथ पर कांच लग गया था। यह घटना 17 नवंबर 2019 को हुई। जिस पर वह शहर के सबसे बड़े अस्पताल द मेडिसिटी अंजलि को लेकर गया था। जहां उसने अपने मित्र के सहयोग से अपनी पत्नी को इमरजेंसी में दाखिल करवाया। जहां मौजूद चिकित्सक ने और उसके सहयोगी ने इलाज शुरू किया और अंजलि के चेहरे वह हाथ पर अनगिनत टांके लगा दिए और तत्पश्चात आईसीयू में भर्ती किया गया। दो दिन बाद डिस्चार्ज करने के बाद एक सप्ताह बाद दोबारा टांके कटवाने के लिए बुलाया गया। जब वह एक सप्ताह बाद अस्पताल गए तो उन्हें डॉक्टर नहीं होने का हवाला देकर वापस भेज दिया ।जब वह दो दिन बाद गए तो अस्पताल के कर्मचारी ने कुछ टांके काट दिए और शेष टांको को बाद में कटवाने कहा। पीड़िता के हाथ में अत्याधिक दर्द होने पर वह उसे इलाज के लिए आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज ले गए । जहां शेष टांके कटवाए ।लेकिन हाथ का दर्द कम नहीं हुआ। वहां पता चला कि हाथ का एक्सरे होगा। जिस पर वेदांत अस्पताल आगरा में एक्सरे के लिए गए तो जांच में पता चला कि मेडिसिटी अस्पताल में इलाज के दौरान लापरवाही बरती गई है और बिना एक्सरे और जांच करवाएं हाथ में टांके लगाते समय जख्म के अंदर से कांच के टुकड़े नहीं निकाले गए । कांच के टुकड़ों को निकाले बिना हाथ में टांके लगा दिए गए और मरीज के चेहरे पर जरूरत न होने के बावजूद बिना किसी विशेषज्ञ चिकित्सक की राय के गलत ढंग से टांके लगा दिए। जिससे हाथ की बारीक नसे व अन्य तंत्रिका फट गई और मेडिसिटी अस्पताल की घोर लापरवाही के कारण हाथ कटने की स्थिति में पहुंच गया। पीड़ित ने बताया कि बाद में वैदिक अस्पताल बरेली में ऑपरेशन करा कर पीड़िता के हाथ में घुसे कांच के टुकड़ों को निकलवाया गया, जिस से हाथ कटने से बच गया। उन्होंने बताया इस संबंध में जब जानकारी जुटाई तो पता चला कि मेडिसिटी अस्पताल के एक चिकित्सक और उसके सहयोगी स्टाफ के पास कोई वैदिक एलोपैथी चिकित्सा हेतु आवश्यक शैक्षिक योग्यता ही नहीं है बावजूद इसके उन्होंने इलाज किया। जब पीड़ित ने इसकी शिकायत अस्पताल के निदेशक से की तो वह अभद्रता पर उतारू हो गए। आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने पत्नी के इलाज के कागज आदि भी नहीं दिए। पीड़ित का कहना है कि बिना जांच के चेहरे और हाथ पर अनगिनत टांके लगाकर उसे बदसूरत बना दिया गया। जिससे वह जीवन भर शारीरिक कष्ट के साथ जीवन व्यतीत करने को बाध्य हो गई । पीड़िता ने मामले की शिकायत पुलिस से की लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

न्यायालय ने थानाध्यक्ष रुद्रपुर को आदेश दिए कि इस प्रकरण में उचित धाराओं में प्रार्थी की एफआईआर दर्ज कर विवेचना कराना सुनिश्चित करें। मुकदमें मेडिसिटी अस्पताल के एमडी डाॅक्टर दीपक छाबड़ा व अन्य के खिलाफ दर्ज होगा।

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