बिहार को बचाने के लिए सदन छोड़ कर सड़क पर संघर्ष का रास्ता चुना: उपेंद्र कुशवाहा

उन्होंने कहा कि बिहार को अंधेरे और अराजकता में फिर से ले जाने की जब साजिश की जाने लगी तो उन्होंने सड़क को सदन पर तरजीह दी और बिहार के आम अवाम के सपनों के लिए सड़क पर उतर कर संघर्ष का फैसला किया।
कुशवाहा गुरुवार को विरासत बचाओ नमन यात्रा के क्रम में भागलपुर पहुंचे। भागलपुर में शहीद तिलकामांझी के स्मारक पर माल्यर्पण किया। इससे पहले उन्होंने सुलतानगंज में एक जनसभा को संबोधित किया और लोगों से बिहार को फिर से अंधेरे में ले जाने की साजिश के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।

उन्होंने कहा कि वे सदन में थे, चाहते तो रह सकते थे। अभी चार साल का कार्यकाल बाकी था।
दूसरे चरण की यात्रा की शुरूआत करते हुए कुशवाहा ने लोगों को अगाह किया कि बिहार को फिर से 2005 से पहले वाली स्थिति में ले जाने की साजिश रची जा रही है।
उन्होंने कहा कि जिस लव-कुश समाज, अतिपिछड़ों, अकलियतों, महादलितों और अन्य समाज के लोगों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ताकत देकर बहुत मशक्कत के बाद बिहार को अराजकता और अंधेरों के दौर से निकाला था, फिर से उन लोगों को ही विरासत सौंपने की तैयारी नीतीश कुमार कर रहे हैं।
शुक्रवार को कुशवाहा जमुई से अपनी यात्रा को आगे बढ़ाएंगे और सिकंदरा, अलीगंज होते हुए शेखोदेवरा पहुंच कर जेपी के स्मारक पर माल्यार्पण करेंगे और फिर गहलौर में पर्वत पुरुष दशरथ मांझी को नमन कर गया पहुंचेंगे।
--आईएएनएस
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