नेताओं के इस्तीफा देने से पीटीआई के अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा
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द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक, मलीका बुखारी, जमशेद चीमा और मुसर्रत जमशेद चीमा पार्टी छोड़ने वाले नए नेता हैं।
बुखारी और चीमा ने भी 9 मई के दंगों की निंदा की, जिसमें भ्रष्टाचार के एक मामले में उस दिन खान की गिरफ्तारी के बाद कई सरकारी इमारतों और संवेदनशील सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया गया था।
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बुखारी, जो अगस्त 2018 से जनवरी 2023 तक नेशनल असेंबली के सदस्य थे और सितंबर 2018 से अप्रैल 2022 तक कानून के संसदीय सचिव के रूप में कार्यरत थे, ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पीटीआई छोड़ने का उनका निर्णय किसी के दबाव के तहत नहीं लिया गया।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, बुखारी ने 9 मई की घटनाओं की निंदा करते हुए कहा, किसी ने मुझे यह निर्णय लेने के लिए मजबूर नहीं किया।
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उन्होंने कहा, (नौ मई के हमलों की) पारदर्शी जांच होनी चाहिए। आगजनी और सैन्य प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ करने वालों को कानून के दायरे में लाया जाना चाहिए।
पार्टी छोड़ने और पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देने के बाद उनकी भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर, पूर्व एमएनए ने कहा, एक वकील के रूप में, मैं न्याय प्रणाली में सुधार के लिए काम करना जारी रखूंगी।
जमशेद चीमा ने 9 मई की घटनाओं को अस्वीकार्य करार दिया।
उन्होंने कहा, ये घटनाएं पाकिस्तान के लिए शमिर्ंदगी का कारण बनीं और लोकतंत्र और पार्टी की लोकतांत्रिक साख को नुकसान पहुंचाया। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक, चीमा ने कहा कि इस नाकामी के लिए वे भी जिम्मेदार हैं।
इससे पहले, 2021 में बलूचिस्तान से एक स्वतंत्र सीनेटर के रूप में चुने गए सीनेटर अब्दुल कादिर ने पीटीआई के साथ अपनी असहमति की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि अब वह पीटीआई के साथ गठबंधन करने के बजाय एक स्वतंत्र सदस्य के रूप में सीनेट में बैठेंगे।
अन्य मीडिया रिपोटरें ने संकेत दिया कि बहावलनगर से पंजाब विधानसभा के पूर्व सदस्य, मुमताज अहमद महरवी और आसिफ मंजूर मोहल भी उन लोगों की सूची में शामिल हो गए, जो पूर्व सत्ताधारी दल को छोड़ रहे हैं।
--आईएएनएस
सीबीटी