चीन-अमेरिका संबंधों को पटरी पर लाने की ठोस कार्रवाई करे अमेरिका

बीजिंग, 20 जून (आईएएनएस)। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 19 जून को चीन की दो दिवसीय यात्रा का समापन किया। अमेरिकी राष्ट्रपति जोसेफ रॉबिनेट बाइडेन ने उस दिन ब्लिंकन की चीन यात्रा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, हम सही रास्ते पर हैं। पर्यवेक्षकों ने बताया कि चीन ने हमेशा चीन-अमेरिका संबंधों के स्थिरीकरण और सुधार को बढ़ावा देने के लिए एक जिम्मेदार रवैया अपनाया है, और अमेरिकी पक्ष ने भी इस बार कुछ हद तक सक्रिय रवैया दिखाया है।
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बीजिंग, 20 जून (आईएएनएस)। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 19 जून को चीन की दो दिवसीय यात्रा का समापन किया। अमेरिकी राष्ट्रपति जोसेफ रॉबिनेट बाइडेन ने उस दिन ब्लिंकन की चीन यात्रा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, हम सही रास्ते पर हैं। पर्यवेक्षकों ने बताया कि चीन ने हमेशा चीन-अमेरिका संबंधों के स्थिरीकरण और सुधार को बढ़ावा देने के लिए एक जिम्मेदार रवैया अपनाया है, और अमेरिकी पक्ष ने भी इस बार कुछ हद तक सक्रिय रवैया दिखाया है।

चीन-अमेरिका संबंधों को सुधारने के लिए, हमें सबसे पहले जड़ का पता लगाना होगा। इस बार ब्लिंकन के साथ बैठक के दौरान, चीन ने स्पष्ट रूप से अपनी राय व्यक्त की। चीन-अमेरिका संबंध अमेरिका की चीन के प्रति गलत धारणा में निहित है, जो चीन के प्रति गलत नीतियों की ओर ले जाता है। यह गलत धारणा इस तथ्य को संदर्भित करती है कि अमेरिका चीन को अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी और सबसे गंभीर दीर्घकालिक चुनौती के रूप में मानता है, जो चीन के प्रति बेतुकी और विरोधाभासी नीतियों की ओर ले जाता है। अमेरिका चीन के साथ संवाद करने की मांग करता है, साथ ही चीन का दमन करने की कोशिश करता है। इस तरह चीन-अमेरिका संबंध कैसे सुधारे जा सकते हैं? अमेरिकी पक्ष के लिए, चीन के बारे में अपनी गलत धारणाओं को सुधारना सब से अहम है।

पिछले साल नवंबर में, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने बाली द्वीप में मुलाकात की और चीन-अमेरिका की आगे की बातचीत और संचार के लिए माहौल बनाते हुए कई महत्वपूर्ण आम सहमतियों पर पहुंचे। लेकिन उसके बाद, अमेरिका ने अपनी दबंग जड़त्ववादी सोच के साथ अपनी तथाकथित राजनीतिक शुद्धता दिखाने के लिए एक गुब्बारा राजनीतिक शो रखा, और थाईवान की नेता त्साई इंग- वेन को अमेरिका ने शोर मचाने को अनुमति दे दी।

अमेरिका की कार्रवाइयों की एक श्रृंखला ने चीन और अमेरिका के बीच बातचीत की प्रक्रिया को बाधित कर दिया है। यही कारण है कि चीन ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि उसे उम्मीद है कि अमेरिका तर्कसंगत और व्यावहारिक रवैया अपनाएगा और कार्रवाई में प्रासंगिक सकारात्मक बयानों को लागू करेगा।

चीन-अमेरिका संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण बात राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा प्रस्तावित आपसी सम्मान, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और साझी जीत सहयोग के सिद्धांतों को लागू करना है। थाईवान का मुद्दा चीन के मूल हितों का केंद्र है और चीन-अमेरिका संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा भी है। चीन अमेरिका से चीन-अमेरिका के तीन संयुक्त विज्ञप्तियों में निर्धारित एक-चीन सिद्धांत का सही मायने में पालन करने, चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने और थाईवान स्वतंत्रता का स्पष्ट रूप से विरोध करने का आग्रह करता है।

इसके अलावा, चीन स्पष्ट रूप से अमेरिका से चीन के खतरे के सिद्धांत को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने से रोकने, चीन के खिलाफ अवैध एकतरफा प्रतिबंधों को हटाने और चीन के तकनीकी विकास को दबाने से रोकने की मांग करता है। इस बिंदु की एक मजबूत व्यावहारिक प्रासंगिकता है। चीन न तो प्रतिस्पर्धा से बचता है और न ही डरता है, बल्कि प्रतिस्पर्धा के नाम पर अन्य देशों के वैध विकास अधिकारों को प्रतिबंधित करने का विरोध करता है और पूरे चीन-अमेरिका संबंधों को परिभाषित करने के लिए प्रतिस्पर्धा का उपयोग करने का विरोध करता है।

अतीत को देखते हुए, अमेरिका के पास चीन-अमेरिका संबंधों को सुधारने के लिए ठोस कार्रवाइयां करने की जरूरत है। उम्मीद है कि इस बार अमेरिका अपनी बात पर कायम रहेगा और ईमानदारी दिखाएगा, ताकि चीन-अमेरिका संबंधों को पटरी पर लाया जा सके।

(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

--आईएएनएस

एसकेपी

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